धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालों में l भाग १ / ५
धीरे धीरे रात बढी, दिन के उजालों में l भाग १ / ५
धीरे धीरे रात बढ़ी, दिन के उजालों में l
छम छम गम नाचें, दिन के उजालों में ll
कम कम है ज्ञान, कम कम श्रम l
तम तम है नियम, तम तम संयम ll
गम गम भर आये, मय के प्यालों में l
बड़ी बड़ी इच्छायें, जड़ ही कटायें l
सूनी सूनी फिजायें, सूनी सूनी दिशायें ll
सन सन हवा चले, ढूंढे छेद दिवालों में l
खन खन बाजे पैसा, तन तन कर बैठा l
लख लख लाशों पर, व्यापारी बन लेटा ll
चम चम चमके हम, कर्म कालों कालों में l
खेल खेला दिल का, इश्क कर इक्का l
इश्क हुआ पक्का, रश्मो को दे धक्का ll
कटे कटे दिन रात, बस उनके ख्यालो में l
कैसे कैसे मैं लड़ा, होने को बड़ा बड़ा l
बदल दल दल, बदल बदल मुखोड़ा ll
छुप छुप खेल खेला, कैसी कैसी खालों में l
अरविन्द व्यास “प्यास”