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5 Oct 2020 · 1 min read

धर्म

#सचिन_के_दोहे —- विषय :- #धर्म
_______________________________________
अलख जगायें धर्म का, मिटे सकल संताप।
शाप मुक्त वसुधा रहे, करें न कोई पाप।। ०१।।

रक्षक ही भक्षक बनें, चीख रहा है धर्म।
संत बने फिरते सभी, कुत्सित इनके कर्म।।०२।।

धर्म धरातल में धसा, दुराचार का जोर।
रक्षक है सब नींद में, होगी कैसे भोर।।०३।।

धर्म सिखाता है हमें, जन-जन में हो प्यार।
नहीं किसी से बैर हो, और नहीं तकरार।।०४।।

धर्म सिखाता है हमें, ईश्वर सबका एक।
करो सदा सत्कर्म ही, बने र हो बस नेक।।०५।।

धर्म – कर्म के नाम पे, होता है नित शोर।
धर्मधीश के भेष में, बैठ रहे सब चोर।।०६।।

धर्म आंधता में फँसा,देखो सकल जहान।
इससे होता धर्म का,हरपल, हरदिन हान।।०७।।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 520 Views
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