Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2017 · 2 min read

धर्मसंकट

सन्नाटे को चीरती दशरथ की करुण पुकारा हे राम.. हे.राम…. हे राम
पुत्र के प्रति उनके प्रेम रूपी अथाह सागर में समूचा जनमानस डूबा जा रहा था। कुछ हीं पलों बाद दशरथ जी ने प्राण त्याग दिये।
सभी के आंखों में आंशुओं का शैलाब घुमण रहा था ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी समय ये बादलों की भाती बरस पड़ेंगे।
संजू ऐसा पुत्र के प्रति प्रेम देख कर भावविभोर हो रहा था और अपने वर्तमान स्थिति का आंकलन कर रहा था।
वो अपनी सोच में इस कदर डूब गया कि उसे पता ही नहीं चला कब रामायण की कहानी दशरथ जी के मृत्यु से राम भरत मिलाप तक आ पहुंची।
राम को राजगद्दी सौपने के लिए भरत की विह्वलता ने एक बार फिर से संजू की तंद्रा भंग की
वह सोचने पर विवश हो क्या दो भाईयों के मध्य कभी इतना भी प्रेम, समर्पण का भाव हो सकता है।
अगर रमायण में दिखाये गये पात्र इसकी संपूर्ण कहानी अगर सत्य है तो फिर आज और तब के
बीच के समय में आखिर ऐसा क्या हो गया जो पिता के लिए पुत्र, पुत्र के लिए पिता, भाई के लिए भाई के दिलों में इतनी नफरत घुल गई।
आज फिजा में चहुओर नफरत का, बेईमानी का, धोखाधड़ी का, सम्राज्य स्थापित हो चूका है
जब संस्कार पूर्वजों से ही विरासत में मिलती है तो फिर ऐ बुरे आचरण, संस्कारहीनता, अपने ही रक्त के प्रति दुर्भावना ऐसे आचरण कहाँ से प्राप्त हुये।
संजू की सोच धीरे धीरे ब्यापक होने लगी।
चलो माना राम भगवान विष्णु के अवतार थे किन्तु राक्षसी प्रवृत्ति वाले कुम्भकर्ण और मेघनाथ ने भी भ्रातृ एवं पितृ प्रेम की मिसाल कायम की उस जमाने में।
जब ऐसी संस्कृति में हमारी उत्पति हुई तो ऐसे कुविचार, दुर्भावना कहाँ से उत्पन्न हुई।
आज पुत्र पिता को बोझ समझ उससे घृणा करने लगा है, पिता पुत्र से द्वेष करने लगा है भाई भाई का दुश्मन बना पड़ा है। आखिर ये विद्वेषपूर्ण संस्कार आये कहां से।
संजू की मनःस्थिति बहुत ही दयनीय हो चली थी
सोच की दिशा जैसे आत्मीय रिश्तों पे ठहर सी गई थी।
संजू भी दो भाई था वह बड़ा था और एक उससे छोटा था जो माता पिता का अत्यधिक दुलारा था।
पिता के नजर में संजू की स्थिति बहुत हीं दयनीय थी आये दिन लड़ाई झगड़े होते रहते थे।
अपने ही घर में अपनो के बीच रहकर भी परायों जैसा ब्यवहार सहन करना फडता उसे।
वह सबके दुख सूख का साथी था किन्तु उसके दुख में कोई साथ देने को तैयार न होता कोई उसपे बिश्वास न करता।
वह प्रेम के वशीभूत अपनों से अलग होना नहीं चाहता था और परिस्थितियाँ साथ रहने की इजाजत नहीं दे रही थीं ।
आज लगभग कईएक घरो की स्थिति संजू जैसी है
अब प्रश्न यह है कि ऐसे हर एक संजू करें तो क्या करें?
पत्नी कि सुने तो माता पिता बैरी। माता पिता की सुने तो पति और पिता का फर्ज की हत्या।
अब ऐसे धर्मसंकट की स्थिति में आखिर संजू क्या करे?
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
590 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
तेरी मेरी तस्वीर
तेरी मेरी तस्वीर
Neeraj Agarwal
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दर्द भरा गीत यहाँ गाया जा सकता है Vinit Singh Shayar
दर्द भरा गीत यहाँ गाया जा सकता है Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
एक खाली बर्तन,
एक खाली बर्तन,
नेताम आर सी
पत्रकार
पत्रकार
Kanchan Khanna
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
Chunnu Lal Gupta
अब न तुमसे बात होगी...
अब न तुमसे बात होगी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
👌फार्मूला👌
👌फार्मूला👌
*Author प्रणय प्रभात*
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण  कटार  धरो माँ।
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण कटार धरो माँ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बेटियां
बेटियां
Mukesh Kumar Sonkar
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
कागज मेरा ,कलम मेरी और हर्फ़ तेरा हो
Shweta Soni
आ रे बादल काले बादल
आ रे बादल काले बादल
goutam shaw
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
Manisha Manjari
मायका वर्सेज ससुराल
मायका वर्सेज ससुराल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
एक बछड़े को देखकर
एक बछड़े को देखकर
Punam Pande
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
मुश्किल से मुश्किल हालातों से
Vaishaligoel
"चलना"
Dr. Kishan tandon kranti
और ज़रा-सा ज़ोर लगा
और ज़रा-सा ज़ोर लगा
Shekhar Chandra Mitra
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
कोई उपहास उड़ाए ...उड़ाने दो
ruby kumari
*नया साल*
*नया साल*
Dushyant Kumar
आंधी है नए गांधी
आंधी है नए गांधी
Sanjay ' शून्य'
“बिरहनी की तड़प”
“बिरहनी की तड़प”
DrLakshman Jha Parimal
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
ओनिका सेतिया 'अनु '
सीरत
सीरत
Shutisha Rajput
कुंती कान्हा से कहा,
कुंती कान्हा से कहा,
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-241💐
💐प्रेम कौतुक-241💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जल बचाओ, ना बहाओ।
जल बचाओ, ना बहाओ।
Buddha Prakash
Loading...