Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2020 · 1 min read

धरती बोली प्रेम से

जग में सुंदर एक है, एक तुम्हारा नाम
कोई अल्लाह कहत हैं, कोई कहता हे राम
धरती बोली प्रेम से, सुन मानस के हंस
सकल जगत में बस रहा, एक मालिका वंश
एक सभी में प्रेम है, एक आस विश्वास
एक सभी में भूख है, एक सभी की प्यास
एक सभी की प्रीत है, एक सभी की रीत
एक जन्म एक मृत्यु है, यही जगत की रीत
बंधु जग में एक है, एक मानस की जात
धर्म पंथ मैं भी नहिं, लड़ने की कोई बात
एक खून पानी वसे, बसते हाड़ और मांस
सबका जीवन एक सा, यही बात है खास
प्रेम जगत निर्माण हैं, हिंसा है विध्वंस
एक ओर श्री कृष्ण हैं, एक ओर है कंस
प्रेम जगत में पुण्य है, हिंसा जग में पाप
पाप पुण्य को देखना, दिल में अपने आप
सबको जीवन में सदा, जीवन से है प्यार
लेना-देना जीव का, करता है करतार
दे नहीं सकते चीज जो, क्या लेने का अधिकार
बंदे दिल में धर्म से, करना गहन विचार
सब प्रेमो में प्रेम है, प्रेम एक निष्काम
जाको उर निष्काम है, राखे सबसे प्रेम
सृष्टि की दृष्टि बड़ी, सबको दे उपहार
दाना पानी और हवा, सबको करती प्यार
बंधु इस संसार में, प्रेम बड़ा अनमोल
प्रेम हरि का नाम है, दिल दिमाग को खोल
सत शांति दया क्षमा, धर्म के फल हैं चार
जे उर भीतर धर्म है, कर्म वह करें विचार
प्रेम और भाईचारा, जग में साख बढ़ाओ
हिंसा और आतंकवाद, जग से दूर भगाओ

Language: Hindi
10 Likes · 5 Comments · 296 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
दर्द का दरिया
दर्द का दरिया
Bodhisatva kastooriya
जहां तक तुम सोच सकते हो
जहां तक तुम सोच सकते हो
Ankita Patel
*जिंदगी*
*जिंदगी*
Harminder Kaur
इस जग में है प्रीत की,
इस जग में है प्रीत की,
sushil sarna
भेड़ चालों का रटन हुआ
भेड़ चालों का रटन हुआ
Vishnu Prasad 'panchotiya'
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
कवि रमेशराज
माँ की एक कोर में छप्पन का भोग🍓🍌🍎🍏
माँ की एक कोर में छप्पन का भोग🍓🍌🍎🍏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*हे महादेव आप दया के सागर है मैं विनती करती हूं कि मुझे क्षम
*हे महादेव आप दया के सागर है मैं विनती करती हूं कि मुझे क्षम
Shashi kala vyas
बाल कविता: वर्षा ऋतु
बाल कविता: वर्षा ऋतु
Rajesh Kumar Arjun
"अपेक्षा"
Yogendra Chaturwedi
आऊं कैसे अब वहाँ
आऊं कैसे अब वहाँ
gurudeenverma198
पेड़ से कौन बाते करता है ?
पेड़ से कौन बाते करता है ?
Buddha Prakash
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
Dr.Rashmi Mishra
फिर एक समस्या
फिर एक समस्या
A🇨🇭maanush
"ढिठाई"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
@घर में पेड़ पौधे@
@घर में पेड़ पौधे@
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" है वही सुरमा इस जग में ।
Shubham Pandey (S P)
Bhagwan sabki sunte hai...
Bhagwan sabki sunte hai...
Vandana maurya
माया मोह के दलदल से
माया मोह के दलदल से
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आज सबको हुई मुहब्बत है।
आज सबको हुई मुहब्बत है।
सत्य कुमार प्रेमी
सपने..............
सपने..............
पूर्वार्थ
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
Ravi Prakash
दोहे-*
दोहे-*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुकर्मों से मिलती है
सुकर्मों से मिलती है
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
जिंदगी भी रेत का सच रहतीं हैं।
Neeraj Agarwal
शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana ने हितग्राही कार्ड अभियान के तहत शासन की योजनाओं को लेकर जनता से ली राय
शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana ने हितग्राही कार्ड अभियान के तहत शासन की योजनाओं को लेकर जनता से ली राय
Bramhastra sahityapedia
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
वक़्त सितम इस तरह, ढा रहा है आजकल,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
सरेआम जब कभी मसअलों की बात आई
Maroof aalam
Loading...