Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2018 · 1 min read

धरणी नववर्ष

क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का
यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं,
धुंध भरे इस राहों में
यह नववर्ष कभी स्वीकार नहीं ।
अभी ठंड है सर्वत्र कुहासा , अलसाई अंगड़ाई है,
ठीठुरी हुई धरा – नील-गगन, कैसी सुंदरता ठिठुराई है।
बाग बगीचों में नहीं नवीनता, नहीं नूतन पल्लवों का उत्कर्ष ;
विहगों का झुंड सहमी – दुबकी ,अन्य वन्यजीवों में भी नहीं हर्ष ।
हिमाच्छादित चादरों से ढकी धरा ,
कुहासा कैसी फैल हर-ओर रही,
खेत-खलिहानों में फैली नीरसता;
सूनी प्रकृति झकझोर रही ।
मत भूलो अपनी मर्यादा, संस्कृति संस्कारों का आवरण,
चीर प्रतिष्ठित , प्राची-चीर महान ;
दृढ-सत्य- विशुद्ध आचरण !
घायल धरणी की पीड़ा को
क्या समझ सके भारतवासी ?
जिनके षड्यंत्रों से घिरा राष्ट्र ,
आज अधिक व्यथित खंडित त्रासी !
‘अरि’ की यादों में निज दर्द भूल ,
खो स्वाभिमान मुस्काते हैं ,
देश-भक्ति का कैसा ज्वर चढ़ा- रचा ,
यह कलुषित नव वर्ष मनाते हैं।
यह देख मुझे आवे हांसी
क्या भूल गए भारतवासी ?
उस दिन ! थी जब छाई उदासी
प्रताड़ित शोषित असंख्य जन-जन सन्यासी।
छोड़ो ! रुक जाओ ! तिमिर भगे ,
प्रकृति हो जाए विशुद्ध स्वरूप ;
फाल्गुन का निखरे रुप सुघर ,
तब मने उत्सव मंगलस्वरुप!
प्रकृति जब उल्लसित होगी, भास्वर जब होंगे दिनमान
शुद्ध -विशुद्ध ,धवल चांदनी सर्वत्र फैलाये नवल विहान,
ज्ञानी -ध्यानी ,यति व्रति जनों से- ले जीवों में भी फैले मुस्कान;
शस्य श्यामला धरती माता, फैला दे मनोहारी मंगल गान !
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि सादर नववर्ष मना लेना ;
आर्यावर्त की विघटित धरणी पर, मंगल हर्ष मना लेना!
मंगल हर्ष मना लेना ,अपना नववर्ष मना लेना !

– कवि आलोक पाण्डेय
[( वाराणसी , भारतभूमि )]

Language: Hindi
1 Like · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" ज़ख़्मीं पंख‌ "
Chunnu Lal Gupta
3) “प्यार भरा ख़त”
3) “प्यार भरा ख़त”
Sapna Arora
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
मैं भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान नष्ट नहीं करता क्योंकि
Rj Anand Prajapati
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
यादों के तटबंध ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
सफलता के बीज बोने का सर्वोत्तम समय
सफलता के बीज बोने का सर्वोत्तम समय
Paras Nath Jha
🪷पुष्प🪷
🪷पुष्प🪷
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
everyone says- let it be the defect of your luck, be forget
everyone says- let it be the defect of your luck, be forget
Ankita Patel
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★फसल किसान की जान हिंदुस्तान की★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
Shweta Soni
जय जय राजस्थान
जय जय राजस्थान
Ravi Yadav
कांटा
कांटा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बचपन,
बचपन, "बूढ़ा " हो गया था,
Nitesh Kumar Srivastava
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"लेखनी"
Dr. Kishan tandon kranti
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
ईश्वर नाम रख लेने से, तुम ईश्वर ना हो जाओगे,
Anand Kumar
यादों का सफ़र...
यादों का सफ़र...
Santosh Soni
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
होता ओझल जा रहा, देखा हुआ अतीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
मौत की आड़ में
मौत की आड़ में
Dr fauzia Naseem shad
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हरि से मांगो,
हरि से मांगो,
Satish Srijan
रोशनी का पेड़
रोशनी का पेड़
Kshma Urmila
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
आज तक इस धरती पर ऐसा कोई आदमी नहीं हुआ , जिसकी उसके समकालीन
Raju Gajbhiye
रिश्ते फीके हो गए
रिश्ते फीके हो गए
पूर्वार्थ
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
माँ वाणी की वन्दना
माँ वाणी की वन्दना
Prakash Chandra
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
लोककवि रामचरन गुप्त का लोक-काव्य +डॉ. वेदप्रकाश ‘अमिताभ ’
कवि रमेशराज
ऐसे भी मंत्री
ऐसे भी मंत्री
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...