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26 Apr 2021 · 1 min read

धन का भजन

धन का भजन लगे बड़ा निराला
जैसे हो कोई शहद का प्याला

धन का सूरज बड़ा ही काला
न दे पाता जीवन को उजाला

धन तो केवल साधन है साधना नही
धन तो केवल प्राप्य है अराधना नही

धन मोहक तो है मोहन नही
धन प्रिय तो है मगर प्रीतम नही

धन धारण हो धारणा नही
धन भोजन हो भावना नही

धन सम्पति हो संतति नही
धन समाधान हो विपत्ति नही

धन का प्रयोग हो पालन नही
धन का सम्मान हो शासन नही

धन विचार हो आचार नही
धन सक्षम हो लाचार नही

Language: Hindi
487 Views
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