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11 Nov 2019 · 1 min read

द्वंद्व

दोहरी होती गयी
हर चीज़
दोहरी होती
जिंदगी के साथ.
आस्थाएं, विश्वास, कर्त्तव्य
आत्मा और
फिर उसकी आवाज ।।
एक तार को
एक ही सुर में
छेड़ने पर भी
अलग-अलग
परिस्थितियों में
देने लगा
अलग-अलग राग,
जैसे वोह कोई और था
और यह है
और कोई साज़ ।।
अपने से द्वंद्व करते-करते
खत्म करता रहा
अपने ही दो हिस्से
और झपटता रहा
स्वयं पर ही
बन कर
चील, गिद्ध और बाज़ ।।

दीपक कुमार श्रीवास्तव “नील पदम”

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 457 Views
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