Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2021 · 3 min read

दो बकरों की दोस्ती

दो अलग-अलग गाँवों में सोनू और टॉम नाम के दो बकरे अपने परिवार के साथ रहते थे,परंतु दोनों बकरे अपने परिवारिक स्थिति से नाखुश थे।

सोनू अपने माँ और दो बहनों के साथ जंगल के एक छोटे से झोपड़ी में रहा करता था।उसकी माँ उसे और उसकी बहनों को बड़ी ही प्रेम से पाल रही थी। वह अपना अधिकांश समय उनलोगों को देती थी परंतु वह सोनू और उसके बहनो के लिए पर्याप्त भोजन नही जुटा पति थी,क्योंकि उसकी माँ दुर्बल थी ।वह जंगल के हर भाग में घुमकर भोजन इकट्ठा नही कर सकती थी।इसमें उसके माँ के जान को खतरा था ।

वही दूसरी तरफ दूसरे बकरे का नाम टॉम था । वह एक बहुत अच्छे परिवार से था । उसका परिवार बड़ा था,साथ ही साथ सबल भी। उसके घर के सदस्य काफी मात्रा में खाना जमा रखते थे। टॉम शाही जीवन जीता था ,परन्तु उसे अपनी माँ साथ कभी नहीं मिलता था,और न ही उसके माँ को उसकी फिक्र थी और न ही वह टॉम को प्यार करती थी। वह बस सबके लिए खाना जुटाने में व्यस्त रहती थी। वह सबल बकरी थी तथा लगभग सभी जंगली जानवरों का मुकाबला कर सकती थी।

सोनू और टॉम की पहली मुलाकात घने जंगल में तब हुई थी जब सोनू जंगल में अपनी माँ से छुपकर गया था ।घूमने के क्रम में वह रास्ता भटक गया था तब उसे टॉम लगभग घायल अवस्था मे मिला था। उसके पैर में काँटे चुभ गए थे जिसके कारण काफी खून बह गया ।उस समय सोनू ने टॉम को पानी पिलाया तथा उसके शरीर में से काँटो को बाहर निकाला ।और टॉम को उसके घर पहुँचाया।

अचानक फिर एक दिन दोनो की मुलाकात हुई। दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया।टॉम ने सोनू को धन्यवाद दिया। फिर दोनों ने अपनी-अपनी उदासी का कारण एक दूसरे से बताया। इस पर उनदोनों ने मिलकर विचार किया कि वो दोनों दस-दस दिन एक दूसरे के घर रहेंगें।इस बारे में उनके परिवार वालो को कुछ पता नही चलना चाहिए । दोनों बकरे इस बात पर सहमत हो गए। और दोनों एक दूसरे के घर दस दिनों के लिए चले गए।

पुनः जब वे दोनों फिर मिले तो सोनू ने कहा- मैं पहले तो वहाँ बहुत अच्छा महसूस किया लेकिन पांच दिन बाद ही मुझे अपनी माँ की याद आने लगी । इस पर टॉम में कहा कि मैं भी तुम्हारे माँ के प्यार को पाकर बहुत खुश था लेकिन फिर मुझे अपने घर और वहां के भोजन की याद आने लगी ।

दोनों बकरों की उदासी अब दूर हो चुकी थी। दोनों अब अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहने लगे।दोनो को अब जिंदगी का महत्व पता चल चुका था । और दोनो जीवन भर एक सच्चे दोस्त की तरह रहे।

ये थी दो बकरो की दोस्ती की कहानी।इसका नैतिक यह था कि प्रत्येक कोई अपने जीवन से असंतुष्ट रहता हैं, क्योंकि वह हमेशा अपनी जीवन की तुलना दूसरे के जीवन से करता हैं।कोई भी अपना जीवन को दूसरों से कम महत्व देता हैं।जबकि हमारे जैसे जीवन जीना हो सकता है कि किसी का सपना हो।इसलिये हमेशा अपनी जिंदगी में खुश रहे और दूसरों को भी खुश रखे।धन्यवाद।

10 Likes · 10 Comments · 957 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बदतमीज
बदतमीज
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नया साल
नया साल
अरशद रसूल बदायूंनी
आज की तारीख़ में
आज की तारीख़ में
*Author प्रणय प्रभात*
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
एक शेर
एक शेर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
तुम क्या जानो
तुम क्या जानो"
Satish Srijan
कियो खंड काव्य लिखैत रहताह,
कियो खंड काव्य लिखैत रहताह,
DrLakshman Jha Parimal
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
पूर्वार्थ
రామయ్య రామయ్య
రామయ్య రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मोबाइल
मोबाइल
लक्ष्मी सिंह
वन  मोर  नचे  घन  शोर  करे, जब  चातक दादुर  गीत सुनावत।
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
Dheerja Sharma
बचपन में थे सवा शेर
बचपन में थे सवा शेर
VINOD CHAUHAN
सजधज कर आती नई , दुल्हन एक समान(कुंडलिया)
सजधज कर आती नई , दुल्हन एक समान(कुंडलिया)
Ravi Prakash
समस्या
समस्या
Paras Nath Jha
जो कुछ भी है आज है,
जो कुछ भी है आज है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
यह समय / MUSAFIR BAITHA
यह समय / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
चंदा तुम मेरे घर आना
चंदा तुम मेरे घर आना
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
Phool gufran
"फागुन गीत..2023"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"तेरी खामोशियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-494💐
💐प्रेम कौतुक-494💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गांधी के साथ हैं हम लोग
गांधी के साथ हैं हम लोग
Shekhar Chandra Mitra
राजा रंक फकीर
राजा रंक फकीर
Harminder Kaur
अश्रु से भरी आंँखें
अश्रु से भरी आंँखें
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
अर्थी पे मेरे तिरंगा कफ़न हो
Er.Navaneet R Shandily
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
गुरु मांत है गुरु पिता है गुरु गुरु सर्वे गुरु
प्रेमदास वसु सुरेखा
Loading...