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8 Jan 2018 · 1 min read

श्रम

??????
श्रम का फल मिलकर रहे, लगती थोड़ी देर।
फल इतना मीठा लगे, फीके लगते बेर।।

श्रम के दोनों हाथ पर, नाच रहा संसार।
जीवन भट्ठी में जले, इस श्रम के अंगार।।

इस जीवन की नाव में, श्रम की हो पतवार।
तूफानों को चीड़ कर, पर्वत सागर पार।।

उगती श्रम के बीज से, जीवन की मुस्कान।
सबसे सुन्दर जगत में, श्रम होता इंसान।।

श्रम से ही निर्माण है, श्रम से ही संहार।
श्रम उन्नति की साधना, श्रम जीवन आधार।।

तुच्छ नहीं समझो हमें,हम से बढ़े गुरूर।
श्रम के बल जग जीतते, कहलाते मजदूर।।

यही प्रार्थना आप से, प्रभु जी देना साथ।
श्रम के बल जीते रहें, फैले कभी न हाथ।।

????-लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
377 Views
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