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9 Jul 2016 · 1 min read

दोहे

सूरत से सीरत भली सब से मीठा बोल

कहमे से पहले मगर शब्दों मे रस घोल

रिश्ते नातों को छोड कर चलता बना विदेश

डालर देख ललक बढी फिर भूला अपना देश

खुशी गमी तकदीर की भोगे खुद किरदार

बुरे वक्त मे हों नही साथी रिश्तेदार

हैं संयोग वियोग सब किस्मत के ही हाथ

जितना उसने लिख दिया उतना मिलता साथ

कोयल विरहन गा रही दर्द भरे से गीत

खुशी मनाऊँ आज क्या दूर गये मन मीत

बिन आत्म सम्मान के जीना गया फिज़ूल

उस जीवन को क्या कहें जिसमे नहीं उसूल

Language: Hindi
1 Comment · 574 Views
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