Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2016 · 1 min read

दोहे रमेश के दिवाली पर

संग शारदा मातु के, लक्ष्मी और गणेश !
दीवाली को पूजते, इनको सभी ‘रमेश !!

सर पर है दीपावली, सजे हुवे बाज़ार !
मांगे बच्चो की कई ,मगर जेब लाचार !!

बच्चों की फरमाइशें, लगे टूटने ख्वाब !
फुलझडियों के दाम भी,वाजिब नहीं जनाब !!

दिल जल रहा गरीब का, काँप रहे हैं हाथ !
कैसे दीपक अब जले , बिना तेल के साथ !!

बढ़ती नहीं पगार है, बढ़ जाते है भाव !
दिल के दिल में रह गये , बच्चों के सब चाव!!

कैसे अब अपने जलें, दीवाली के दीप !
काहे की दीपावली , तुम जो नहीं समीप !!

दुनिया में सब से बड़ा, मै ही लगूँ गरीब !
दीवाली पे इस दफा, तुम जो नहीं करीब !!

दीवाली में कौन अब , बाँटेगा उपहार !
तुम जब नहीं समीप तो, काहे का त्यौहार !!

आतिशबाजी का नहीं, करो दिखावा यार !
दीपों का त्यौहार है,….. सबको दें उपहार !

पैसा भी पूरा लगे ,…….. गंदा हो परिवेश !
आतिशबाजी से हुआ,किसका भला “रमेश” !!

आपा बुरी बलाय है, करो न इसका गर्व !
सभी मनाओ साथ में , दीवाली का पर्व !

हाथ हवाओं से सहज ,.. मैंने लिया मिलाय !
सबसे बड़ी मुंडेर पर, दीपक दिया जलाय !!
रमेश शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 999 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आदत में ही खामी है,
आदत में ही खामी है,
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
पूर्वार्थ
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*बादलों से घिरा, दिन है ज्यों रात है (मुक्तक)*
*बादलों से घिरा, दिन है ज्यों रात है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
बापू
बापू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मार्केटिंग फंडा
मार्केटिंग फंडा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ सामयिक आलेख-
■ सामयिक आलेख-
*Author प्रणय प्रभात*
मिलन की वेला
मिलन की वेला
Dr.Pratibha Prakash
अकेलापन
अकेलापन
लक्ष्मी सिंह
23/75.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/75.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काँटों के बग़ैर
काँटों के बग़ैर
Vishal babu (vishu)
बात
बात
Ajay Mishra
बात तो कद्र करने की है
बात तो कद्र करने की है
Surinder blackpen
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
महफ़िल में गीत नहीं गाता
महफ़िल में गीत नहीं गाता
Satish Srijan
आज का रावण
आज का रावण
Sanjay ' शून्य'
समझदार बेवकूफ़
समझदार बेवकूफ़
Shyam Sundar Subramanian
जो लोग ये कहते हैं कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती, कुछ कार्य
जो लोग ये कहते हैं कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती, कुछ कार्य
Dr. Man Mohan Krishna
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लोरी
लोरी
Shekhar Chandra Mitra
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
VINOD CHAUHAN
#सुप्रभात
#सुप्रभात
आर.एस. 'प्रीतम'
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अनंत करुणा प्रेम की मुलाकात
अनंत करुणा प्रेम की मुलाकात
Buddha Prakash
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा  !
कोई पढे या ना पढे मैं तो लिखता जाऊँगा !
DrLakshman Jha Parimal
Loading...