Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Mar 2021 · 2 min read

दोहा

दोहा….

महक रहे हैं देखिए, उपवन के वे फूल।
मान रहे थे तुम जिसे, कांटे जैसा शूल।। 1

जेब खोल हक मांगना, साहब का अंदाज़।
बोल रहा निर्बल खड़ा, हमको आती लाज।। 2

सठ से सठता है उचित, भलमानस से नीक।
उल्टी मति जिसकी हुई, उसकी त्यौरी फीक।।3

पुरवा के झकझोर से , गलन बढ़ा चहुओर।
निहुरे-निहुरे चल रहे, जीव सकल बिन शोर।। 4

चढता पारा शीश पर, सुन नेता की बोल।
पहने ओढ़े फिर रहे, भांति-भाँति की खोल।। 5

दण्ड मिले पापी सदा, पालन हो आदेश।
न्यायालय न्यायी बने, जन-जन में संदेश।। 6

नफ़रत, हिंसा, द्वेष की, फैल रही है आग।
धूमिल समरसता हृदय, लगा रही है दाग।। 7

परदे के पीछे हुआ, बड़ा-बड़ा है खेल।
नहीं सुरक्षित रह गया, वह तिहाड़ का जेल।।8

सीधी जनता देखती, मुख शासन की ओर।
साहब हल्ला कर रहे, लूट ले गया चोर।। 9

लगा सड़क पर होर्डिंग, बढ़ता चलन प्रचार।
दिखा रहे गुणवान अति, जनता करे विचार।10

जन्म हुआ जिसका यहाँ, उसका है यह देश।
लेकिन कहना मत कभी, अच्छा लगे विदेश।11

हरी-भरी धरती रहे, हरे खेत खलिहान।
जीव-जन्तु सब ही करें, खुशहाली का गान।12

अन्तस् में हो छल-कपट, मुँह में मीठी खीर।
सावधान इनसे सदा, घातक अतिशय तीर।।13

अगर हितैषी बन रहे, दुर्जन लिए प्रमाण।
साध रहे हैं मानिए, तरकस से चुन बाण।।14

द्वेष, घृणा का भाव मन, रखकर करें प्रणाम।
अच्छा आता है नहीं, संगति का परिणाम।।15

खाल खीचते बाल की, रखते ओछी सोंच।
लग जाता है बदन पर, इनके गहरी खोंच।। 16

करता हो राजा अगर, जनमानस का ध्यान।
स्वाभाविक फिर मानिए, राजा का गुणगान।17

नहीं देश से मानना, उत्तम कोई धर्म।
करना हमको चाहिए, तन्मय अपना कर्म।।18

त्याग,समर्पण,प्यार का, और कहाँ है ठाँव।
लंदन से उत्तम लगे, अपना प्यारा गाँव।। 19

जग में वे नर श्रेष्ठ हैं, जो करते उपकार।
इनका होना चाहिए, जगह-जगह सत्कार।। 20

आत्मश्लाघा में करें, लेकर माइक शोर।
श्वान करें नित वंदना, इनका उठकर भोर।। 21

(स्वरचित )
डाॅ. राजेन्द्र सिंह “राही”
(बस्ती उ. प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
*वधू (बाल कविता)*
*वधू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
💐प्रेम कौतुक-421💐
💐प्रेम कौतुक-421💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हीरा उन्हीं को  समझा  गया
हीरा उन्हीं को समझा गया
दुष्यन्त 'बाबा'
सोच
सोच
Dinesh Kumar Gangwar
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
ग़ज़ल/नज़्म: सोचता हूँ कि आग की तरहाँ खबर फ़ैलाई जाए
अनिल कुमार
गांव का दृश्य
गांव का दृश्य
Mukesh Kumar Sonkar
दिल में आग , जिद और हौसला बुलंद,
दिल में आग , जिद और हौसला बुलंद,
कवि दीपक बवेजा
क्या कहें
क्या कहें
Dr fauzia Naseem shad
बुलंद हौंसले
बुलंद हौंसले
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
झूठा घमंड
झूठा घमंड
Shekhar Chandra Mitra
छुट्टी बनी कठिन
छुट्टी बनी कठिन
Sandeep Pande
क्या मुझसे दोस्ती करोगे?
क्या मुझसे दोस्ती करोगे?
Naushaba Suriya
उदारता
उदारता
RAKESH RAKESH
रेस का घोड़ा
रेस का घोड़ा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समय बहुत है,
समय बहुत है,
Parvat Singh Rajput
ए जिंदगी….
ए जिंदगी….
Dr Manju Saini
साहिल समंदर के तट पर खड़ी हूँ,
साहिल समंदर के तट पर खड़ी हूँ,
Sahil Ahmad
ईश्वर किसी को भीषण गर्मी में
ईश्वर किसी को भीषण गर्मी में
*Author प्रणय प्रभात*
3073.*पूर्णिका*
3073.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
विघ्न-विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
विघ्न-विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
दो शब्द यदि हम लोगों को लिख नहीं सकते
DrLakshman Jha Parimal
खामोश आवाज़
खामोश आवाज़
Dr. Seema Varma
मेरा प्रेम पत्र
मेरा प्रेम पत्र
डी. के. निवातिया
Don't Give Up..
Don't Give Up..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बन जाने दो बच्चा मुझको फिर से
बन जाने दो बच्चा मुझको फिर से
gurudeenverma198
बाल कहानी- डर
बाल कहानी- डर
SHAMA PARVEEN
सकारात्मक पुष्टि
सकारात्मक पुष्टि
पूर्वार्थ
Loading...