Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
विनय कुशवाहा 'विश्वासी'
10 Followers
Follow
Report Content
24 May 2020 · 1 min read
दोहा
घर को अब सब आ रहे, छूटा उनका काम।
पल-पल कदम बढ़ा रहे,लेकर हरि का नाम।।६२।।
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
4 Likes
· 258 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
बाल कहानी- अधूरा सपना
SHAMA PARVEEN
दोहा पंचक. . . . प्रेम
sushil sarna
वक्त
Madhavi Srivastava
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
"मोहब्बत"
Dr. Kishan tandon kranti
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
*Author प्रणय प्रभात*
आज देव दीपावली...
डॉ.सीमा अग्रवाल
🌺आलस्य🌺
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
चलो कहीं दूर जाएँ हम, यहाँ हमें जी नहीं लगता !
DrLakshman Jha Parimal
*महामूरख की टोपी( हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरे कान्हा
umesh mehra
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
मेरा हर राज़ खोल सकता है
Shweta Soni
2848.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक पिता की पीर को, दे दो कुछ भी नाम।
Suryakant Dwivedi
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जीवन में ठहरे हर पतझड़ का बस अंत हो
Dr Tabassum Jahan
RKASHA BANDHAN
डी. के. निवातिया
सुकून ए दिल का वह मंज़र नहीं होने देते। जिसकी ख्वाहिश है, मयस्सर नहीं होने देते।।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
‘ विरोधरस ‘---2. [ काव्य की नूतन विधा तेवरी में विरोधरस ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
तन्हाई
Surinder blackpen
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
Sanjay ' शून्य'
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
आनंद प्रवीण
दशमेश के ग्यारह वचन
Satish Srijan
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
ख़त्म हुआ जो
Dr fauzia Naseem shad
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
- दीवारों के कान -
bharat gehlot
कुंए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है
शेखर सिंह
Loading...