दोहा मुक्तक
जाने कैसे हो गया, नर इतना बेशर्म।
मानवता को भूल के, जग में करे अधर्म।
करले मानव प्रेम से, सदाचार व्यवहार,
मानवता ही धर्म हो, मानवता ही कर्म।
जाने कैसे हो गया, नर इतना बेशर्म।
मानवता को भूल के, जग में करे अधर्म।
करले मानव प्रेम से, सदाचार व्यवहार,
मानवता ही धर्म हो, मानवता ही कर्म।