दोहा मुक्तक -अब मजहब के नाम पर हुए मतलबी लोग
अब मजहब के नाम पर हुए मतलबी लोग ,
संविधान को पी गए , सभी मजहबी लोग
प्रश्न सेक्यूलर का उठा , नजर चुराते आज
नियतमें ही खोटधर , बने अजनबी लोग ….
वोटों के खातिर यहाँ मचता रोज बवाल ।
हिन्दू पाकिस्तान का , कैसा अजब सवाल
कैसे कीड़े आजकल , पाल रहे ये लोग ?
बिना पेट में दर्द के । करते नित्य धमाल
….
सत्ता की खातिर जिये, जिये चक्रवत घूम ।
रोटी , आटा- दाल का भाव लीजिये चूम ।
सता –सता सत्ता मिले , सता रहे ये लोग
कौन जिया किसके लिए , जनता को मालूम ..
आँख मारने का लगा , बहुत पुराना रोग
घड़ियाली आँसू बहा , गए पुराने लोग
मान और मनुहार का , बहुत हुआ अब खेल
जाति –जाति में भेद कर , गए तोड़ दिल लोग .
22-07-2018 डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
सीतापुर