Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2020 · 2 min read

दोहरे मापदंड

हम कब तक इन दोहरे मापदंडों को सहन करके जीते रहेंगें। इस कोरोना काल में जहां एक तरफ संक्रमण से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने का प्रचार एवं प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर चुनाव कराए जा रहे हैं। चुनावी संपर्क यात्राओं में मतदाताओं के संपर्क में आने से संक्रमण जो अब तक शहरी क्षेत्र तक सीमित था गांवों में फैलने की पूरी संभावना है। इस प्रकार संक्रमण से मतदाता , राजनीतिक कार्यकर्ता , एवं स्वयं चुनाव प्रत्याशी भी अछूता नहीं रह सकता है।
यह इस बात का द्योतक है कि हमारे राजनीतिज्ञों के लिए राजनीतिक स्वार्थ जनता के स्वास्थ्य से सर्वोपरि है । इस प्रकार जनता पर थोपी गई चुनावी प्रक्रिया उनको संक्रमण के गर्त में ढकेलने जैसी है । हमारी निरीह ग्रामीण जनता जो शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा अब तक संक्रमण के प्रभाव से बची रही है , को अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए जबरन संक्रमित करने का मूर्खतापूर्ण प्रयास ये राजनेता कर रहे हैं।
इसके अतिरिक्त इस चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्ष मतदान की संभावनाएं एवं मतदान का प्रतिशत कहां तक सही हो सकता है।
कुछ मतदाता संक्रमण के भय से मतदान करने जाएंगे ही नहीं, और कुछ मतदाताओं को संक्रमण भय दिखा कर वोट डालने से वंचित कर दिया जाएगा। और कुत्सित मंतव्य वाले ये राजनेता अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए अपने हित में उनके नाम से झूठे वोट डालने का प्रयास करेंगे ।
अतः इस प्रकार के चुनाव निष्पक्ष किस तरह हो सकेंगे।
इस प्रकार चुनावी तंत्र में लगे अधिकारी , कर्मचारी एवं सुरक्षाकर्मी भी संक्रमण से अछूते ना रह सकेंगे , वे स्वयं संक्रमित होंगे और साथ ही साथ अपने परिवार वालों को संक्रमित करेंगे।
अतः संक्रमण फैलाने का एक मुख्य कारण बन सकते हैं।
जब पूरा देश संक्रमण की मार झेल रहा है और लोगों का जीवन कोरोना के प्रकोप से क्षणभंगुर सा प्रतीत हो रहा है , तब इस प्रकार चुनाव कराना कहां तक एक बुद्धिमता पूर्ण निर्णय कहा जा सकता है। एक तरफ तो सरकार जनता में संक्रमण से बचने हेतु नियमों का पालन के लिए प्रचार कर रही है , तो दूसरी तरफ इस प्रकार निरीह जनता को इस प्रकार थोपे गए चुनावों के माध्यम से संक्रमित कर रही है।
सरकार इस संक्रमण काल में जनता के हितों की रक्षा करते हुए , प्रस्तावित चुनाव क्या कुछ समय के लिए नहीं टाल सकती थी ?
जो कि एक तर्कसंगत निर्णय होता।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि राजनीतिक स्वार्थ जनता के हितों से सर्वोपरि होने के कारण हम इस दोहरे मापदंड को भोगने के लिए मजबूर हैं।

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 4 Comments · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
Pramila sultan
14, मायका
14, मायका
Dr Shweta sood
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
Dr MusafiR BaithA
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
जरूरत से ज्यादा मुहब्बत
shabina. Naaz
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
उत्कर्षता
उत्कर्षता
अंजनीत निज्जर
ये चांद सा महबूब और,
ये चांद सा महबूब और,
शेखर सिंह
आज़माइश
आज़माइश
Dr. Seema Varma
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
* धन्य अयोध्याधाम है *
* धन्य अयोध्याधाम है *
surenderpal vaidya
!! चमन का सिपाही !!
!! चमन का सिपाही !!
Chunnu Lal Gupta
#आंखें_खोलो_अभियान
#आंखें_खोलो_अभियान
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-450💐
💐प्रेम कौतुक-450💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
श्रमिक  दिवस
श्रमिक दिवस
Satish Srijan
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव
कुछ लोग तुम्हारे हैं यहाँ और कुछ लोग हमारे हैं /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
3222.*पूर्णिका*
3222.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गलतियां ही सिखाती हैं
गलतियां ही सिखाती हैं
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
बड़ा भोला बड़ा सज्जन हूँ दीवाना मगर ऐसा
आर.एस. 'प्रीतम'
आंधी
आंधी
Aman Sinha
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*अभिनंदन हे तर्जनी, तुम पॉंचों में खास (कुंडलिया)*
*अभिनंदन हे तर्जनी, तुम पॉंचों में खास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शौक़ इनका भी
शौक़ इनका भी
Dr fauzia Naseem shad
हर शायर जानता है
हर शायर जानता है
Nanki Patre
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
सत्य कुमार प्रेमी
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई  लिखता है
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
Shweta Soni
Tera wajud mujhme jinda hai,
Tera wajud mujhme jinda hai,
Sakshi Tripathi
वो इश्क को हंसी मे
वो इश्क को हंसी मे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
जोड़ तोड़ सीखा नही ,सीखा नही विलाप।
manisha
यूँ तो समुंदर बेवजह ही बदनाम होता है
यूँ तो समुंदर बेवजह ही बदनाम होता है
'अशांत' शेखर
Loading...