*दोस्ती*
दोस्ती का रिश्ता कभी पुराना नहीँ होता
ख़त्म कभी भी ये अफ़साना नहीँ होता
बड़ी पाकीज़गी है इसमें पाई, वरना
आज हमारे लबों पर ये तराना नहीँ होता
धर्मेन्द्र अरोड़ा
दोस्ती का रिश्ता कभी पुराना नहीँ होता
ख़त्म कभी भी ये अफ़साना नहीँ होता
बड़ी पाकीज़गी है इसमें पाई, वरना
आज हमारे लबों पर ये तराना नहीँ होता
धर्मेन्द्र अरोड़ा