Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Nov 2018 · 1 min read

दे पहला अधिकार हमें।।

न कटुता तेरी क्रुद्ध करे, न कोई बाधा मार्ग अवरुध्द करे।
काल भी थर-थर कांप उठे, जब वैरी संग हम युद्ध करें।।
कालजयी हम वीर सिपाही, भाये इसका ही श्रृंगार हमें।
पर मातृभूमि पे शीश चढ़ाने, का दे पहला अधिकार हमें।।

न जात-पात का भेद-भाव, निज कर्म करें बिन फल की आशा।
न राज-पाट की चाहत हमको, ना जीवन मे सुख की अभिलाषा।।
जिसकी रहती जैसी भाषा, वैसा बोलने से न इंकार हमें।
पर मातृभूमि पे शीश चढ़ाने, का दे पहला अधिकार हमें।।

न तोल मोल ही करना जाने, न जाने करना संचय धन,
न छल की रही परंपरा अपनी, बस जीतना चाहे सबका मन।
मोल हमारी इतनी सी, मिले निच्छल सबका प्यार हमें,
पर मातृभूमि पे शीश चढ़ाने, का दे पहला अधिकार हमें।।

हे भाग्य बिधाता बस इतनी विनती रखना याद मेरी,
चाहें दे न भले कुछ पर सुनले, तुझसे ये फरियाद मेरी
नेह मिले या वार मिले, हर पहल तेरा स्वीकार हमें।
पर मातृभूमि पे शीश चढ़ाने, का दे पहला अधिकार हमें।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १०/११/२०१८ )

Language: Hindi
11 Likes · 10 Comments · 239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
जीवन एक यथार्थ
जीवन एक यथार्थ
Shyam Sundar Subramanian
यादों का झरोखा
यादों का झरोखा
Madhavi Srivastava
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
न मैंने अबतक बुद्धत्व प्राप्त किया है
ruby kumari
विश्व कप-2023 फाइनल
विश्व कप-2023 फाइनल
दुष्यन्त 'बाबा'
मानव और मशीनें
मानव और मशीनें
Mukesh Kumar Sonkar
*बीमारी न छुपाओ*
*बीमारी न छुपाओ*
Dushyant Kumar
प्रकृति प्रेमी
प्रकृति प्रेमी
Ankita Patel
नील नभ पर उड़ रहे पंछी बहुत सुन्दर।
नील नभ पर उड़ रहे पंछी बहुत सुन्दर।
surenderpal vaidya
गाल बजाना ठीक नही है
गाल बजाना ठीक नही है
Vijay kumar Pandey
धरा
धरा
Kavita Chouhan
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*दफ्तर बाबू फाइलें,अफसर मालामाल 【हिंदी गजल/दोहा गीतिका】*
*दफ्तर बाबू फाइलें,अफसर मालामाल 【हिंदी गजल/दोहा गीतिका】*
Ravi Prakash
है शारदे मां
है शारदे मां
नेताम आर सी
अब इस मुकाम पर आकर
अब इस मुकाम पर आकर
shabina. Naaz
रामायण में हनुमान जी को संजीवनी बुटी लाते देख
रामायण में हनुमान जी को संजीवनी बुटी लाते देख
शेखर सिंह
■ अक़्सर...
■ अक़्सर...
*Author प्रणय प्रभात*
चाय-दोस्ती - कविता
चाय-दोस्ती - कविता
Kanchan Khanna
2396.पूर्णिका
2396.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
Neeraj Agarwal
" अंधेरी रातें "
Yogendra Chaturwedi
छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।
छीज रही है धीरे-धीरे मेरी साँसों की डोर।
डॉ.सीमा अग्रवाल
रंगों का त्योहार होली
रंगों का त्योहार होली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या  है
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या है
Anil Mishra Prahari
💐💐मरहम अपने जख्मों पर लगा लेते खुद ही...
💐💐मरहम अपने जख्मों पर लगा लेते खुद ही...
Priya princess panwar
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
नूरफातिमा खातून नूरी
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
हिसका (छोटी कहानी) / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
अपने जीवन के प्रति आप जैसी धारणा रखते हैं,बदले में आपका जीवन
अपने जीवन के प्रति आप जैसी धारणा रखते हैं,बदले में आपका जीवन
Paras Nath Jha
Loading...