Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2018 · 2 min read

देश की #धड़कन

अपने जीवन को दांव लगा, हर पल आहुति देते हैं!
अपनी खुशियों की बलि चढ़ा, ना जाने क्या-क्या सहते हैं!
है उनके दिल में भारत मां … वे मां के दिल में रहते हैं…
इस देश की #धड़कन है वह तो ..हम #फौजी जिन को कहते हैं!

सरहद की रक्षा की खातिर सीने पर गोली खाते हैं….
यहां एक छोटे से दर्द को भी हम सहने से कतराते है …
वे शीश कटाते हैं अपना …पत्थर भी हमसे खाते हैं …
अपनी रातों की नींद उड़ा …वे मेरा ख़्वाब सजाते हैं….
कितनी श्रद्धा है उनकी यह? कैसे वह सब कुछ सहते हैं?
इस देश की धड़कन है वे तो…. हम फौजी जिनको कहते हैं !!

हम यहां झूमते मस्ती में ,,हर पर्व त्यौहार मनाते हैं !
वे इन उत्सव के दीपों में …अपना सब हर्ष जलाते हैं!
घर में बैठे -बैठे हम तो बस अनुमान लगाते हैं!
वहां एक वतन की खातिर जाने कितनी जान गवांते हैं!
फिर भी जान हथेली पर लेकर, वे # वंदे मातरम कहते हैं!
इस देश की धड़कन है वह तो .. हम फौजी जिन को कहते हैं…

हम अपने गम- खुशियों का दुखड़ा यू रो- रो के सुनाते हैं..
वे भूल के खुशियों का मतलब अपना कर्तव्य निभाते हैं !
यहां अपने रुतबे में चूर हम, धर्मों से धर्म लड़ाते हैं !
वहां एक मानवता की खातिर वे हर तूफा से टकराते हैं ..
जब तक है हम निश्चिंत रहो यह मुस्कुराकर वह कहते हैं
इस देश की धड़कन है वह तो हम फौजी जिन को कहते हैं !

वह भी तड़पते होंगे घर की याद उन्हें आती होगी
आंखों में सुंदर सपनों की तस्वीर उभर आती होगी
जब आता होगा अंतिम क्षण ,जब प्राण विदा लेते होंगे ,
टूटे बिखरे शब्दों से फिर वे #जय भारत मां कहते होंगे
इधर फिर देश की खातिर एक जवान शहीद हो जाता है
फिर किसी माता के घर का जलता चिराग बुझ जाता है

मर कर भी अमर हो जाए उसको अमर जवानी कहते हैं
इस देश की धड़कन है वह तो हम फौजी जिनको कहते हैं!

Language: Hindi
3 Likes · 413 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya Maithil
View all
You may also like:
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
मैंने अपनी, खिडकी से,बाहर जो देखा वो खुदा था, उसकी इनायत है सबसे मिलना, मैं ही खुद उससे जुदा था.
Mahender Singh
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
'अशांत' शेखर
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
VINOD CHAUHAN
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
आ भी जाओ
आ भी जाओ
Surinder blackpen
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
रातों की सियाही से रंगीन नहीं कर
Shweta Soni
मै मानव  कहलाता,
मै मानव कहलाता,
कार्तिक नितिन शर्मा
राम
राम
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
I am Me - Redefined
I am Me - Redefined
Dhriti Mishra
कांतिपति का चुनाव-रथ
कांतिपति का चुनाव-रथ
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
3194.*पूर्णिका*
3194.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
होली पर बरसात हो , बरसें ऐसे रंग (कुंडलिया)*
होली पर बरसात हो , बरसें ऐसे रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दिल
दिल
Dr Archana Gupta
मन मंथन कर ले एकांत पहर में
मन मंथन कर ले एकांत पहर में
Neelam Sharma
गुरुवर तोरे‌ चरणों में,
गुरुवर तोरे‌ चरणों में,
Kanchan Khanna
■ बेमन की बात...
■ बेमन की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
भारत भूमि में पग पग घूमे ।
Buddha Prakash
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
'हिंदी'
'हिंदी'
पंकज कुमार कर्ण
हम तो फूलो की तरह अपनी आदत से बेबस है.
हम तो फूलो की तरह अपनी आदत से बेबस है.
शेखर सिंह
हमें कोयले संग हीरे मिले हैं।
हमें कोयले संग हीरे मिले हैं।
surenderpal vaidya
सोशल मीडिया, हिंदी साहित्य और हाशिया विमर्श / MUSAFIR BAITHA
सोशल मीडिया, हिंदी साहित्य और हाशिया विमर्श / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
"दो नावों पर"
Dr. Kishan tandon kranti
बसंती बहार
बसंती बहार
Er. Sanjay Shrivastava
Loading...