देशी बनाम विदेश भोजन
विधा-/—सार (ललित) छंद
विषय —– देशी बनाम विदेशी भोजन
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देशी और विदेशी भोजन
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भाया भोजन जबतक घर का,
तबतक हुआ न रोना।
फास्टफूड पे नजर पड़ी जब,
पड़ा बहुत कुछ खोना।।
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कभी टिफिन में घर का भोजन,
ले जाते थे भाई।
अब दिखता है पिज्जा – बर्गर,
जो है बना कसाई।।
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सदा स्वस्थ रहना जो चाहे,
खाये देशी खाना।
तन सुंदर औ मन भी सुंदर,
नाचो गाओं गाना।।
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भारत के स्वादिष्ट भोज्य का,
कभी न कोई सानी।
दाल भात रोटी सब्जी की,
महिमा जग ने मानी।।
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फास्टफूड जो खाया भैया,
होगा रोना – धोना।
स्वास्थ्य बिगड़ता जायेगा,
पड़ेगा जीवन खोना।।
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बात पते की मैं कहता हूँ,
मान सको तो मानों।
देशी भोजन में जीवन है,
इसे ही अमृत जानो।।
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पिज्जा बर्गर चीनी खाना,
अब ना मुंह लगाना।
अपने खाना देशी भोजन,
औरों को समझाना।।
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देशी भोजन में भी भैया,
स्वाद कई है नाना।
“#सचिन” कहे बस देशी खाओ,
गाओ मन से गाना।।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार