देवी महात्म्य तृतीय अंक * 3*
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देवी महात्म्य
* अंक 3*
चन्द्रघण्टा
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दिवस तीसरे नवराता को , जिसको पूजा जाता है।
वह स्वरूप है चन्द्रघण्टा , दुर्गा का माना जाता है।
स्वर्ण समान कांति मैया,मस्तक चन्द्रअर्ध सा है।
रंग पसन्द वो भूरा मैया ,जैसे वर्ण गर्द सा है।
भूरा रंग यानी कि कहिये ,भ्रम से बाहर निकाले जो।
मात कृपा से बाहर निकले ,दोनों लोक सुधारे जो।
असमंजस में रहे कभी ना ,जो चन्द्रघटा को ध्याता है।
मन मलिन हो जिसका वो ,मैया को नही भाता है।
दशो भुजाओ में जिनके दस ,आयुध पूरे सुशोभित है।
गदा ,कृपाण ओर बान धनुष ,त्रिशूल कमंडल धारित है।
एक हस्त में कमल सुशोभित , स्वेत केतकी माला उर।
रत्न जड़ित है मुकुट विराजे ,चन्द्रघण्ट से राजत सर।
मध्यमान में स्तिथ मैया , लिंगपुराण बताता है।
जो भी ध्याता चन्द्रघण्टा को ,जाग मणिपुर जाता है।
मणिपुर चक्र के जगने से, निर्भय वीरता आती है।
साथ बढ़े विवेक हमेशा ,सौम्यता चली आती है।
विनम्रता ओर पराक्रम का , चन्द्रघण्टा अद्भुत संगम है।
मुख नेत्र ओर गात चमकता ,होता जिमि तारक भ्रम है।
इनके जपने और भजने से ,बाधाएं सब मिटती है।
चिंताएं होती दूर सभी ,और सुख समृध्दि बढ़ती है।
स्वर को कोमल करनेवाली ,माता बारम्बार प्रणाम।
मेरी इतनी बिसात कहाँ , जप सके तुम्हारा जो नाम।
हे सिंह वाहिनी माता तुमसे ,दया की भीख मांगता हूं।
कृपा रहे मधु मूरख पर,इतनी दया चाहता हूं।
कलम घिसाई
?विशेष — ध्यान मंत्र (किसी पुस्तक से)?
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
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