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28 Jan 2021 · 3 min read

देख लिए जी पुलिस के सहयोग !

आलेख :- 16(25) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा ??
आलेख :- 1(03) 08-05-2020 शुक्रवार 14:19

आलेख :- 16(23) हिन्दी ✍️ रोशन कुमार झा ??

-: देख लिए जी पुलिस के सहयोग !

आज बुद्ध पूर्णिमा आज ही के दिन गौतम बुद्ध का जन्म और महान कवि, नाटककार,राष्ट्रगान निर्माता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का भी जन्म हुआ था, उन्हीं से जुड़ी हुई बात है,रवीन्द्र सेतु की,इस महामारी कोरोना में देख लिए पुलिस प्रशासन का सहयोग , कितना करता है सहायता , यह कोई कहानी नहीं, और नहीं सुनी हुई बात, यह हकीक़त है, बात कोलकाता की हावड़ा ब्रिज की है , कोलकाता न हावड़ा पुलिस की है ! बैंक के अधिकारी को जाने देते पर बैंक के ग्राहकों को नहीं, तो मेरा कहना है बंद करवा दो अभी बैंक, लेकिन कैसे करवायेंगे, अभी तो बिना खड़े हुए ही तो उनको बैंक से पैसा मिल जाते है, माना कि ऊपर डीएम,सीएम, पीएम से आदेश है ,पर व्यवस्था कहां है, अरे ! मैं जानता हूं कितना कठिन है ऑर्डर को पूरा करना, क्योंकि हम रोशन भी मान सम्मान जानते हैं वर्दी की. राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना, भारत स्काउट गाइड, सेंट जांन एम्बूलेंस आदि से सेवा कर रहा हूं वर्दी में ही ! पर मैं पुलिस प्रशासन से कहना चाहता हूं कि आप जब पुलिस में भर्ती लेते हैं तो क्या आप गाली का ही प्रशिक्षण करवाते हैं, पता न उन मजदूर, गरीब पर क्या बीता होगा ,मारा भी ऊपर से बोकाछोदा जैसी बंगाली में गाली दिया रहा वह पुलिस.., और यही कारण है कि लोग कानून को हाथ में लेते हुए पुलिस पर टूट पड़ते हैं, और फिलहाल इसी हावड़ा के टिकियापाड़ा में हुआ भी रहा ,जो कि ऐसा नहीं होना चाहिए , कितना आदमी बर्दाश्त करेगा ! अब आप पूछोगे कि लॉकडाउन में आप कहां गए, जी हां क्या कहूं गैस सिलेंडर भरवाने के लिए एक दिन न पांच दिन गए, फिर भी असफल रहे ,तीन दिन में सिर्फ खाली सिलेंडर दे आये, देकर जब पुल पर आ रहे थे, तब पुलिस से हमको न पर साईकिल पर डंडा मार ही दिया ,चौथा और पांचवां दिन भरा सिलेंडर को लाने की कोशिश किये ,पर कुछ न हुआ, यहां तो पुलिस पैसों लेकर ब्रिज पार करवाते हैं, तब हम इन्हें न देकर सिलेंडर वाले को ही कुछ ज्यादा पैसा देना ही उचित माना , हम ब्रीज के पास इंतजार करते रहे तब बेचारा कंधा पर गैस वाला वर्दी में ही
लेकर सिलेंडर लाया, पसीना, पसीना हो गया रहा, वह भी कोई दूसरा रहता नहीं दे जाता, वह तो अपना बिहार अपना मधुबनी के रहें तो दे गये ! इस तरह हमारी समस्या का हल हुआ, पर उनका क्या जो बैंक जा रहें थे, जाने नहीं दिया और भी कई इस प्रकार की समस्या रहा, जाने वाले को तो बिना कुछ लिए जानें ही नहीं देते, और जो काम करके लौटते हैं,उनको भी डंडा मारते है , कोलकाता में कुछ कारवाई न पर यहां इतना, क्या देख लिया बंगाल पुलिस ने, क्या मोदी जी
यही आपका शासन है , और ममता दीदी आप बात ही हटाये, क्या यही गांधी जी के रामराज्य है, क्या भारत के धरती मां तुम्हारी यही सपना थी, अब समझ गये धन्य है तू कोरोना ,जो तू आया सब को ले जा , हमको भी, छोड़ मत किसी को,सबके सब पापी है, इन पापों से भारत मां को मुक्ति दिलवा, हे राम फिर आ और अपना रामराज्य बसाओ, रामराज्य की ही जरूरत है ! अब बात करते अगल हम उस स्थान पर होते, तो लोगों के दुख जरूर दूर करते,अगल नियम रहता ब्रिज कोई पार न करें तो हम करने भी नहीं देते, पर उन सभी के जरुरत पूरा करवाते , वहां दलाल पुलिस को नहीं,बल्कि राष्ट्रीय कैडेट कोर, राष्ट्रीय सेवा योजना, सेंट जांन एम्बूलेंस, भारत स्काउट गाइड जैसे निस्वार्थ भावना से काम करने वाले को रखते,
और सेवा करवाते, अगल भविष्य में कभी इस तरह की संकट आये, तो मैं यह कदम पार करके दिखाऊंगा !!

® ✍️ रोशन कुमार झा ??
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज ,कोलकाता
08-05-2020 शुक्रवार 14:19 (मो:-6290640716
রোশন কুমার ঝা, Roshan Kumar Jha
कविता :- 16(15)

Language: Hindi
216 Views
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