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21 Sep 2019 · 1 min read

देखो ना वो कितने रुप बदलता है

सियासत का हर सिकंदर यही कहकर छलता है
आवाम के वोट के ख़ातिर यहाँ सब चलता है

मेरे माथे का पसीना और हाथ के छाले सबूत हैं
पहले मैं मेरा खून जलाता हूं तब मेरे घर में चुल्हा जलता है

कभी यार कभी प्यार कभी दिलदार कभी तकरार
खेल दिखा रहा है जादू का देखो ना वो कितने रुप बदलता है

हकिकत किताबों मे दफन है नयी नस्लों को बुक रटाई जा रही हैं
आज भी ये अकीदा है कि आबताब को कोई शैतान निगलता है

उतना तो अमीर अपने घरों में पानी तक इस्तेमाल नही करते जनाब
जितना उनकी गाडी से कुचलकर किसी गरीब का खून निकलता है

पुरानी निकाह तो गले की फांसी लगने लगती है अक्सर
और नयी मोहब्बत में दिल थोडा ज्यादा ही मचलता है

तेरे रहनुमाों तक ने तुझे खैरात देने से इनकार कर दिया
ये बता अब तू किसके दम पर इतना उछलता है

उन लोगों को रोको मत मोहब्बत की बात करने दो तनहा
और ज्यादा कुछ नही इससे थोड़ा बहुत दिल बहलता है

1 Like · 2 Comments · 202 Views
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