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17 May 2020 · 1 min read

कोरोना महामारी

देखकर दुनिया के मंज़र रो पड़े
मुफ्लिस व मिस्कीं क़लन्दर रो पड़े

जब ज़मीं पर असग़र अकबर रो पड़े
तो फलक पर चांद व अख़्तर रो पड़े

इस जहाँ के लाल व गोहर रो पड़े
सारे इंसा के मुक़द्दर रो पड़े

देखकर अपने किनारों को ख़मोश
झील, दरिया और समन्दर रो पड़े

सामने अदना सी इक मख़लूक़ के
बेबसी पे अपनी रहबर रो पड़े

दुनिया में फ़ैली वबा के ख़ौफ से
वक्त के सारे सिकन्दर रो पड़े

दर्द के जो नाम से वाक़िफ न थे
देखकर हमको वो पत्थर रो पड़े

ज़ुल्म करके हंस रहे थे कल तलक
आज वो सजदों में गिर कर रो पड़े

हो गईं वीरान सड़कें इस तरह
मील के आतिफ़ भी पत्थर रो पड़े

इरशाद आतिफ़
अहमदाबाद
मो॰ – 9173421920

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