दूसरा दिन
दूसरा दिन
?मां दुर्गा का दूसरा रूप ‘ब्रह्मचारिणी?
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का प्राचीन विधान है।हम सभी मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल देखते है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। कई हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। इनके इसी रूप की पूजा और स्तवन दूसरे नवरात्र पर किया जाता है।आज भी माँ का ये रूप पूजनीय हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न मंत्र के माध्यम से की जाती है-
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)
मान्यता हैं कि नवरात्रि में करें इन मंत्रों का जप, हर मनोकामना होगी पूरी।तो आइए हम सब भी माँ की आराधना करते हैं।माँ से ये ही मांगती हूँ कि हम सब स्वस्थ रहे।जय माँ जय माँ
क्रमशः