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14 Feb 2017 · 1 min read

ठाठ रहे रे

बेशर्म की कलम से

बुंदेली पुट

अरे कछु ने कर रय हैं
सब घिरया के धर रय हैं।।

पुलिया सड़क गिट्टी को पैसा।
ठूंस – ठूंस के भर रय हैं।।

हम गरीब सो हम जानत हैं।
कैसे जी रय मर रय हैं।।

हाथ जोर के फिरे चार दिन।
डरे डरे अब चर रय हैं।।

सही कहो तो आँख तरेरें।
लाल “बेशर्म” पर रय हैं।

विजय बेशर्म
(गाडरवारा ) 9424750038

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