“”दुनिया प्यार से चले””
मैं चला तुझसे मिला, शुरू हुआ वह सिलसिला।
नाम दिया प्यार का ,दुनिया करती हम से शिकवा गिला।
जी ले दो हमें, अपनी मस्ती में ,हमारी अपनी बस्ती में,
तड़पा के हमें आखिर आपको क्या मिला।
हम किसी का कहां कुछ लेते हैं, दुनिया से यही कहते हैं।
प्यार के झरने शायद कहीं ना कहीं ,आपके दिल में भी बहते हैं ।
आओ हमारे साथ बहो, उखड़े उखड़े यो न रहो ।
भर लो तुम भी अपनी गगरिया, प्यार में रत्न छुपे रहते हैं।
हम भी जी ले तुम भी जी लो, प्यार बड़ा अनमोल है।
रग रग में सबकी बहे यह, अनुनय के अमृत बोल हैं ।
जीवन बीते एक दूजे के लिए, जिए तो ऐसे ही जिए,
प्यार से ही चलती दुनिया, पनपा लो हृदय में यही घोल है ।
राजेश व्यास अनुनय