Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2019 · 1 min read

दुख

दुख के आँचल में छिपा, सभी सुखों का सार।
सघन सजल सब भावना, है जिसका आधार।।

ऊपर है भगवान तो, नीचे दुख का ढेर।
चमके सूरज नित गगन, धरती पर अंधेर।।

आँख मिचौनी खेलता,जब सुख-दुख का खेल।
अपने वश में कब रहा, इस जीवन का रेल।।

जो हँसता जितना अधिक, छुपा रहा है पीर।
सीने में सैलाब है, भरा आँख में नीर।।

रहना चाहें खुश सभी ,रहना नहीं उदास।
खुशियाँ बाटें जो सदा ,खुशी उसी के पास।।

-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
153 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
फ़र्क़ नहीं है मूर्ख हो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
हमको तंहाई का
हमको तंहाई का
Dr fauzia Naseem shad
झरते फूल मोहब्ब्त के
झरते फूल मोहब्ब्त के
Arvina
गैरों सी लगती है दुनिया
गैरों सी लगती है दुनिया
देवराज यादव
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
कैसे यह अनुबंध हैं, कैसे यह संबंध ।
sushil sarna
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
🙅अजब संयोग🙅
🙅अजब संयोग🙅
*Author प्रणय प्रभात*
होगा बढ़िया व्यापार
होगा बढ़िया व्यापार
Buddha Prakash
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
तेरे होने का जिसमें किस्सा है
shri rahi Kabeer
हम चाहते हैं
हम चाहते हैं
Basant Bhagawan Roy
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
शिक्षित बनो शिक्षा से
शिक्षित बनो शिक्षा से
gurudeenverma198
*ये सावन जब से आया है, तुम्हें क्या हो गया बादल (मुक्तक)*
*ये सावन जब से आया है, तुम्हें क्या हो गया बादल (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सांझा चूल्हा4
सांझा चूल्हा4
umesh mehra
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
goutam shaw
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Rekha Drolia
खामोश कर्म
खामोश कर्म
Sandeep Pande
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वसुधा में होगी जब हरियाली।
वसुधा में होगी जब हरियाली।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
"परिवर्तनशीलता"
Dr. Kishan tandon kranti
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
भूख दौलत की जिसे,  रब उससे
भूख दौलत की जिसे, रब उससे
Anis Shah
कुछ लोग
कुछ लोग
Shweta Soni
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
पूर्वार्थ
2707.*पूर्णिका*
2707.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
5
5"गांव की बुढ़िया मां"
राकेश चौरसिया
!! उमंग !!
!! उमंग !!
Akash Yadav
खो कर खुद को,
खो कर खुद को,
Pramila sultan
एकाकी
एकाकी
Dr.Pratibha Prakash
Loading...