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18 Mar 2017 · 1 min read

** दुःख किण सूं कहूं साजना **

दुःख किण सूं कहूं साजणा
दिन गिणतां रातां गिणी
सुपणा अब सब रीत गया
आंख्यां सूं ढळ गयो पाणी
प्रीतम थारां पगळ्या निरख
निरख गयो आँखें रो पाणी
ना आसे पासे सुणनियों
म्हारे हिवड़े री पीड़
दिन गिण काढू लीकडली
काढूं कियां अब रातड़ली
सुण तूं अब तो कागला
कद आसी म्हारा पिऊ
सुगन करे तूं सांतरां
अब जल्दी आसी पिऊ
कागा तने रोटी खिलाऊं
जद घर आसी म्हारा पिऊ
नी तो जासी म्हारा जिऊ
कागला साची-साची बतादे
कद आसी म्हारा पिऊ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 480 Views
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