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14 Apr 2017 · 1 min read

“दीपक”

जिनके हो विचार ऊंचे ,कदम तो खुद बा खुद बढ़ जाते हैं।
जग रोशन करने के लिए, वह खुद दीपक बन जाते है।

जलने की पर्वाह कहां ,वह तो जल जल कर जल जाते हैं।
पर अंधेरे की काली दीवार पर कुछ इतिहास प्रकाशित कर जाते हैं

दीपक की इन कड़ियों में ,कुछ बिरले ही जगमगाते है।
अंधेरा जितना काला हो, वह उतनी चमक दिखाते हैं।

अपनी इस चमक से अंधियारों को सबक सिखाते हैं।
हे अंधकार तेरे कारण ही हम जग में नाम कमाते हैं।

कोयला गर काले रंग से ,अपनी पहचान बनाता है।
तो हीरा भी उसमें ही रहकर ,अपनी चमक जमाता है।

प्रशांत शर्मा “सरल”
नेहरु वार्ड नरसिंहपुर

Language: Hindi
448 Views
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