दीपक और इंसान
दीपक और इंसान
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दीपक और इंसान
निर्मित एक समान
पर अलग अलग पहचान
एक सृजन ईश्वर का
किन्तु प्रभुताई से कोसो दूर
स्वार्थपरता में चूर
दूजा सृजन मानव का
प्रभुताई भरपूर
स्वार्थ से कोसों दूर
देता वह प्रकाश
सबको एक समान।
दोनों में अन्तर कीतना
एक स्वहित जीवन पथ चलता
दूजा परहित जीवन भर जलता
बस दोनों में एक ही समानता
एक सा आरंभ
एक सा अन्त
इसमें नही कोई द्वन्द
मिट्टी से ही सृजन
मिट्टी मे अवसान
आरंभ और अंत
दोनों एक समान।
….पं.संजीव शुक्ल “सचिन”