दीदार ए हुस्न
**दीदार ए हुस्न**
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दिल ने उसे पुकारा
तुम बिन न गुजारा
आओ मेरे साहिल
हो गया हूँ बेसहारा
लगती है सूनी सूनी
रौनक और बहारां
हो जाए चार चाँद
खुशनसीब नजारा
तुझ से ही तो मैं हूँ
वर्ना मेघ हूँ आवारा
काली काली घटाएँ
लटें राग हैं मल्हारां
चाँदनी से हो रोशन
काला काला अंधेरा
मनसीरत है निहाल
दीदार ए हुस्न यारा
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)