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10 Sep 2019 · 1 min read

दिव्यमाला अंक 19

गतांक से आगे……..अंक 19

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वर्णावर्त जब हुआ शांत ,तब सब के जान में जान आई।
वक्ष स्थल से लटक रहे जो , देखे सबने कृष्ण कन्हाई।
सोपान बनाकर उन्हें उतारा, अब तो सबकी बन आई।
जय कन्हैयालाल हमारा ,जय नंद यशोदा माई।
माने तुझको नागर कैसे ,या माने नादान–कहाँ सम्भव।
हे पूर्ण कला के अवतारी-तेरा यशगान ..कहाँ सम्भव ?
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सभी चकित थे यह बालक ,मृत्यु के मुख से आया है।
नंद यशोदा ने आखिर में , कौनसा पुण्य कमाया है।
सोच सोच कर विस्मित होते, सुकर्मों ने इसे बचाया है।
और दुष्ट के दुष्ट कर्म ने ,उसको श्रीधाम पठाया है।
जाने क्या गोकुल वासी बस,जाने भगवान– कहाँ सम्भव।
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा गुणगान…. कहाँ सम्भव?

*
क्रमशः अगले अंक में
*
कलम घिसाई
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 2 Comments · 249 Views
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