दिवास्वप्न
दिवास्वप्न
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कुछ
कट्टरपंथी कठमुल्ले
इन दिनों बड़े खुश हैं,
भ्रम का शिकार हैं।
कुत्तों के भौंकने से
शेर नहीं डर जाता,
उल्टा जब वह बिगड़ जाता,
शेर बने कुत्तों को ही
फाड़कर खा जाता।
ठीक वैसे ही
आजकल जैसे
देशद्रोहियों की चाँदी सी हो गई।
पर कोई इन्हें समझाये
जब तुम्हारा अल्लाह भी,
तुम्हारी फरियाद नहीं सुन पाये,
तब कोरोना
मोटा भाई जैसे शेर का
शिकार करने की
हिम्मत कहाँ कर पाये।
बिल्ली के भाग्य से
छींके कब टूटे हैं?
जो तुम्हारे भाग्य से
मोटा भाई निपट जाये।
शायद तुम सोये हो
या फिर भ्रम में खोये हो,
तीन तलाक बिल कौन लाया?
370 को किसने हटाया?
एन आर सी भी आया।
कौन सा तीर तुम्हाराचल पाया,
तुम्हारा अब्बा इमरान भी
बहुत फड़फड़ाया,
पर बेचारा कुछ नहीं कर पाया।
जम्मू कश्मीर में खून की
नदियाँ बहने
और उसकी आजादी का
सपना देखने वाले
तुम्हारे चच्चा/भाईजान भी
क्या उखाड़ पाये?
कट्टरपंथी कठमुल्लों
कान खोलकर सुन लो
गाँठ बाँधकर रख लो
जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बनेगा, समान नागरिकता कानून भी
पास होगा,
35ए भी साफ होगा।
और ये भी सुन लो
ये सब कोई और नहीं करनेवाला
तुम्हारा बाप मोटा भाई ही
है करने वाला।
अब तक तो तुम
समझ ही गये होगे कि
मोटा भाई बहुत भोला
मगर जिद्दी है,
इसीलिये मारता बाद में है
पहले घसीटता है।
इसीलिए फिर कहता हूँ
अभी वक्त है समझ जाओ,
अपनी जिंदगी को
रेगिस्तान मत बनाओ।
खुदा को याद करो
उससे फरियाद करो,
इंसान हो तो शैतान न बनो,
अच्छा है वक्त रहते
इंसानियत के झंडाबरदार बनो।
?सुधीर श्रीवास्तव