Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2017 · 3 min read

दिवंगतों को मत बदनाम करो

दिवंगतों को मत बदनाम करो

***

अपने पूर्वजो की गैरत कटघरे ला दी
तुमने आकर मीठी बातो में !
सत्तर साल की कामयाबी मिटा दी
तुमने आकर के जज्बातो में !!

कौन कहता है
देश में कोई काम नहीं हुआ
सत्तर सालो में क्या
अपना भारत आबाद नहीं हुआ !

दिवंगतों को मत बदनाम करो
अपनी झूठी शान दिखाने के लिए
वक़्त के अनुकूल काम किया
भारत को पहचान दिलाने के लिए !!

कुछ काम अगर ना हुआ होता
तुम यू बातो की न खा रहे होते
पहनकर सूट बूट निराले आज
मखमली गद्दों पे न सो रहे होते

माना पहले रफ़्तार धीमी थी
गाडी अब पटरी पर आई है
मगर ज़रा पूछो अपने बड़ो से
कितनी ज़हमते उन्होंने उठाई है !

याद करो जब देश आज़ाद हुआ था
क्या हमने खोया था क्या पाया था
मिटाकर लाल अपने बेश कीमती
लहूलुहान धरा का टुकड़ा पाया था !

टूटी झोपडी, टूटी मड़ैया
तन पर कपडा मुहाल था
भूखे प्यासे पूर्वज रहे है
महामारियों से बुरा हाल था !!

लालकिले से झूठ बोलकर
लोगो को आज लुभाते हो
गलत आकड़े बतलाकर
झूठा अपना रंग जमाते हो !!

क्यों ऐसा तुम करते हो
क्या खुद पर रहा विश्वास नहीं
दल बल से लेकर धन तक
बोलो क्या अब तुम्हारे पास नहीं !!

भ्रष्टाचार की बात करते हो
पहले खुद का घर साफ़ करो
जितने भी दागी है नेता
अपने दल से शुरुआत करो !!

नियत अगर साफ़ है
तो क्यों गुंडो को सहभागी बनाते हो
जिनको भान नहीं घर का
मंत्रालय का भार उनके हाथ थमाते हो !!

जितने भी है दागी नेता,
उनके खिलाफ एक कानून पास करो
जो भी कोई विरोध करे
पहले संसद से उसका पत्ता साफ़ करो !!

सत्तर सालो से देखते आये है
हर कोई उन्ही मुद्दों पर वोट मांगता है
नेता बनकर पांच साल तक
फिर न कोई उन गाँवों में झांकता है !!

आज़ाद हुआ था देश अपना
पर सत्ता आज तक गुलाम नजर आती है
जिसने पकड़ी कुर्सी एक बार
फिर बाप दादाओ की जागीर बन जाती है !!

देश अगर विकास राह ले जाना चाहते हो
व्यवस्था में अमूल चूक परिवर्तन करो
धन और सत्ता के लालच से बाहर निकलो
धनपतियों की कठपुतली बनना बंद करो !!

तुम पर भरोसा जताकर
जनता ने गद्दी पे तुम्हे बिठाया है
फिर भी बदले में अभी तक
बेचारो ने कौन नया सुख पाया है !!

हाल आज भी वही पुराना,
गाँव गाँव, गली गली में दिखता है
हत्या, बलात्कार, गुंडागर्दी
अस्मित, ईमान चौराहो पर बिकता है !!

राजन नारी रक्षा की कसम खाता है
मंत्री और संतान भक्षक बन मजाक उडाते है !
क्यों नहीं अंकुश लगता उन पर
हिम्मत कर क्यों दो-चार को नहीं शूली चढ़ाते है !!

सूखा हो या बाढ़ का मुद्दा
साल दर साल बेचारी जनता सहती है
मजदूर किसान या हो जवान
क्यों किस्मत इनसे सदा खफा रहती है !!

नौकरशाही, अफसर शाही
केवल जनता पर ही क्यों पड़ती भारी है
गौरखपुर हो या खतौली
दिन महीने साल त्रासदी से जनता हारी है !!

जनता वही है देश वही है
संसद में भी वही राज घराने है
कहने को सरकार बदलती
पर नेताओ के अंदाज़ पुराने है

इरादे अगर नेक है
तो खुलकर सच्चाई बतलाना सीखो
खामियों में करो सुधार
अपना भरोसा जनता पर जताना सीखो

जनता तुमको चाहती है
तभी तो मतविश्वाश तुम्हारे हाथ है
अच्छा करोगे, राज़ करोगे
तभी तो ये जनता तुम्हारे साथ है !!

छोडो एक दूजे पर दोषारोपन
राजनीति में अब नैतिकता को अपनाओ
युवा देश का खड़ा दो राहे पर
सत्य और सक्षमता से उनकी पहचान कराओ !!

कर जाओ तुम भी कुछ ऐसा,
युगो युगो तक चलता तुम्हारा नाम रहे !
नव युग के तुम प्रेरणास्रोत रहो
तुम सा बन जाना हर किसी का अरमान रहे !!

जय हिन्द ! जय भारत !

***

!! डी के निवातिया !!

Language: Hindi
2 Likes · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संतुलित रखो जगदीश
संतुलित रखो जगदीश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
पुनर्जन्म का सत्याधार
पुनर्जन्म का सत्याधार
Shyam Sundar Subramanian
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
सच तो हम इंसान हैं
सच तो हम इंसान हैं
Neeraj Agarwal
शिक्षा का महत्व
शिक्षा का महत्व
Dinesh Kumar Gangwar
नहीं लगता..
नहीं लगता..
Rekha Drolia
ज़िंदगी मो'तबर
ज़िंदगी मो'तबर
Dr fauzia Naseem shad
चाहता हूं
चाहता हूं
Er. Sanjay Shrivastava
आलता महावर
आलता महावर
Pakhi Jain
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
Dr Manju Saini
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
नहीं आती कुछ भी समझ में तेरी कहानी जिंदगी
gurudeenverma198
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
Harminder Kaur
बहू बनी बेटी
बहू बनी बेटी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
प्रेम के नाम पर मर मिटने वालों की बातें सुनकर हंसी आता है, स
पूर्वार्थ
जीवन में दिन चार मिलें है,
जीवन में दिन चार मिलें है,
Satish Srijan
भोले नाथ तेरी सदा ही जय
भोले नाथ तेरी सदा ही जय
नेताम आर सी
वो पहली पहली मेरी रात थी
वो पहली पहली मेरी रात थी
Ram Krishan Rastogi
वाणी वंदना
वाणी वंदना
Dr Archana Gupta
*परिवार: नौ दोहे*
*परिवार: नौ दोहे*
Ravi Prakash
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
कैसी हसरतें हैं तुम्हारी जरा देखो तो सही
VINOD CHAUHAN
दिन  तो  कभी  एक  से  नहीं  होते
दिन तो कभी एक से नहीं होते
shabina. Naaz
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
Bundeli Doha - birra
Bundeli Doha - birra
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आया बसन्त आनन्द भरा
आया बसन्त आनन्द भरा
Surya Barman
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
Subhash Singhai
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
लफ्जों के तीर बड़े तीखे होते हैं जनाब
Shubham Pandey (S P)
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आसमाँ  इतना भी दूर नहीं -
आसमाँ इतना भी दूर नहीं -
Atul "Krishn"
Loading...