Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2017 · 1 min read

दिल ये हिंदुस्तान सरीखा लगता है

जीवन इक उन्वान सरीखा लगता है
बिन माँगा वरदान सरीखा लगता है

देख दूसरों को मन अपना फूंक रहा
हर इंसाँ श्मशान सरीखा लगता है

बाग़ बगीचे सिमटे क्यारी गमलों में
अब गुलशन गुलदान सरीखा लगता है

आँगन, चौखट, बँटवारे की भेंट चढे
सारा घर दालान सरीखा लगता है

जूझ रहा निज अन्तस के संघर्षों से
दिल ये हिन्दुस्तान सरीखा लगता है

रोज़ लिखे हर रोज़ मिटाये तहरीरें
बालक ये नादान सरीखा लगता है

ढूँढे है मासूम नफ़ा सम्बन्धों में
हर रिश्ता नुकसान सरीखा लगता है

मोनिका “मासूम

1 Comment · 407 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
Phool gufran
!..........!
!..........!
शेखर सिंह
आभा पंखी से बढ़ी ,
आभा पंखी से बढ़ी ,
Rashmi Sanjay
विदंबना
विदंबना
Bodhisatva kastooriya
बोझ हसरतों का - मुक्तक
बोझ हसरतों का - मुक्तक
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
💐प्रेम कौतुक-318💐
💐प्रेम कौतुक-318💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सबसे कठिन है
सबसे कठिन है
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बारिश
बारिश
विजय कुमार अग्रवाल
कविता
कविता
Rambali Mishra
तुम्हें प्यार करते हैं
तुम्हें प्यार करते हैं
Mukesh Kumar Sonkar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
वक्त एक हकीकत
वक्त एक हकीकत
umesh mehra
" पाती जो है प्रीत की "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
तकते थे हम चांद सितारे
तकते थे हम चांद सितारे
Suryakant Dwivedi
" मानस मायूस "
Dr Meenu Poonia
*यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)*
*यदि मक्खी आकर हमें डराती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
Prakash Chandra
आपदा से सहमा आदमी
आपदा से सहमा आदमी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Growth requires vulnerability.
Growth requires vulnerability.
पूर्वार्थ
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
हे कौन वहां अन्तश्चेतना में
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
कभी-कभी हम निःशब्द हो जाते हैं
कभी-कभी हम निःशब्द हो जाते हैं
Harminder Kaur
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
subhash Rahat Barelvi
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बर्दाश्त की हद
बर्दाश्त की हद
Shekhar Chandra Mitra
" कविता और प्रियतमा
DrLakshman Jha Parimal
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अभिनय से लूटी वाहवाही
अभिनय से लूटी वाहवाही
Nasib Sabharwal
लोग कह रहे हैं आज कल राजनीति करने वाले कितने गिर गए हैं!
लोग कह रहे हैं आज कल राजनीति करने वाले कितने गिर गए हैं!
Anand Kumar
Loading...