दिल परिंदा
दूर ख्यालों के आसमान में उड़ता दिल परिंदा
आसमान में ,
उड़ता ये दिल परिंदा ।
दरिया सा बहता , झरनों से खेलता,
चाहत का मारा नादान दिल परिंदा ।
होती है मुश्किल राह ए जिंदगी,
पर फिक्र किसे है! बेफ्रिक ये दिल परिंदा ।
जज्बात के सैलाब में बेखौफ तैरता,
मस्ती में चूर मदहोश ये दिल परिंदा ।
जाने कब तक परवाज करेगा ! जाने
इसका क्या हश्र होगा !
हालात ए हवाओं से जूझता पागल दिल परिंदा ।
सांसे कहीं थम ना जाए , हसरत कोई
बाकी ना रह जाए,
जिए जा अपनी धून में जिंदादिल मेरा ए दिल
परिंदा ।।