दिल को अपने प्यार का इक साज़ कर
कुछ भी दुनिया से अलग अन्दाज़ कर
दिल को अपने प्यार का इक साज़ कर
उम्र गुज़री है कफ़स में आज तक
आज बाहर आ ज़रा परवाज़ कर
उसके दिल को जीतना है सोच ले
आम ऐसे तो न उसका राज़ कर
ज़ख़्म गहरे हैं लगाता हूँ दवा
सब्र रख थोड़ा न यूँ आवाज़ कर
सैंकडों बाज़ी यहाँ पर खेलनी
नाम अपने भी कोई सा ताज़ कर
उसको पहुँचा कर के मंज़िल पर अभी
फिर भले ‘आनन्द’ ख़ुद पर नाज़ कर
– डॉ आनन्द किशोर