दिल की आरजू
एक आरजू है दिल की,
सारे जहाँ में छा जाऊँ!
एक आरजू है दिल की,
सबको अपना बना जाऊँ!
एक आरजू है दिल की,
इंसानियत को संग ले चल पाऊँ!
जाऊँ कहीं भी,
इंसानियत ही सबको सिखलाऊँ!
टूटे अंतिम डोरी,
जब साँसों की मेरे,
तो मैं शहीद,
इंसानियत का सिपाही कहलाऊँ।
-✍️अटल©