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25 Mar 2017 · 1 min read

*दिलजलों की तो जलने की आदत होती है *

कल्बे-सोजा जलते रहेंगे
मुहब्बत के चिराग से
दिल का हाल पूछो
तुम उनसे
जिसने ज़ाम-ए-मय
पिया हो इश्क का
फ़कत जीने के लिए
मुहब्बत ना की
तुझे क्या पता
ऐ कल्बे-सोजा
इश्क में
मरमर के जिया जाता है
निहायत जरूरी है
जले-दिल को जलाना
दम तोड़ने के लिए
मासूक को मजबूर किया
इब्तिदा इश्क में
तुम्हें
डरने की जरूरत नहीं
ऐ खदीन
दिलजलों की तो
जलने की आदत होती है ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 294 Views
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