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30 Dec 2016 · 1 min read

दिया मौन का सखी जलाओगी कब तक

अपने दिल के घाव छिपाओगी कब तक
दिया मौन का सखी जलाओगी कब तक

बंजर है उनके भावों का खेत सखी
और अना की बिछी वहाँ पर रेत सखी
फसल उगाने वहाँ प्यार की तुम यूँ ही
अपने आँसूं रोज बहाओगी कब तक
दिया मौन का सखी जलाओगी कब तक

पत्थर सुन लो कभी न पिघला करते हैं
जज्बातों को कभी न समझा करते हैं
रहें बेअसर चाहें कोई हो मौसम
दिल में उनको तुम रख पाओगी कब तक
दिया मौन का सखी जलाओगी कब तक

दिल में ही अरमान तुम्हारे रोये हैं
अपनों को पाने में अपने खोये हैं
साँसों पर भी दाँव लगाकर बतलाओ
जीने का यूँ ढोंग रचाओगी कब तब
दिया मौन का सखी जलाओगी कब तक

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
Tag: गीत
3 Likes · 1 Comment · 823 Views
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