दिन छुपते ही हुआ अंधेरा
“बाल गीत ”
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छंद :चौपाई
दिन छुपते ही हुआ अँधेरा।
घर चौबारा तम ने घेरा।।
सर्दी छम -छम करती आई.
बच्चों ने बहु ख़ुशी मनाई।
किट किट करती मुनिया दौड़ी
ओढ़े मफलर और रज़ाई।।
लम्बा हुआ रात का डेरा।
दिन छुपते ही हुआ अँधेरा।।
सूरज खुद गर्मी को तरसे ,
नभ से बस शीतलता बरसे।
मिली रिहाई कड़क धूप से।
सर्दी ने दी दस्तक जब से ।.
ये सब प्रकृति का है फेरा।।
दिन छुपते ही हुआ अँधेरा।
बबुआ ठिठुर रहा सर्दी में ,
था जो लथ-पथ लू-गर्मी में।
काका -बाबा पूअर तापें ,
मन हीमन में हरिको जापैं।।
निकला सूरज हुआ सवेरा।
दिन छुपते ही हुआ अँधेरा।।