Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Oct 2017 · 1 min read

दिखते हैं खामोश मगर हम अंदर अंदर बिखरे हैं

दिखते हैं खामोश मगर हम अंदर अंदर बिखरे हैं
इस दिल में तो जगह जगह केवल डर ही डर बिखरे हैं

आंखों में देखिये हमारे कितने सागर बिखरे हैं
यादों के सीपों से जबसे मोती छिटकर बिखरे हैं

साथ समय के चलते चलते चाहें दूर निकल आये
मगर निगाहों में तो वही पुराने मंज़र बिखरे हैं

युवा आज के त्याग प्रेम की परिभाषा ही भूल गये
तभी अना के कारण देखो कितनों के घर बिखरे हैं

बूढ़ा शजर अकेला तूफानों में नहीं सँभल पाया
टूट गयीं शाखाएं ,पत्ते भी इधर उधर बिखरे हैं

फूल मिले गर राहों में तो तुम ये भूल नहीं जाना
इन राहों पर जगह जगह ही कंकड़ पत्थर बिखरे हैं

छीन रहा है वक़्त ‘अर्चना’ अपनों को धीरे धीरे
ऊपर से चट्टान मगर हम भीतर भीतर बिखरे हैं

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Likes · 1 Comment · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
भतीजी (लाड़ो)
भतीजी (लाड़ो)
Kanchan sarda Malu
सब सूना सा हो जाता है
सब सूना सा हो जाता है
Satish Srijan
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
Vishal babu (vishu)
जब-जब तानाशाह डरता है
जब-जब तानाशाह डरता है
Shekhar Chandra Mitra
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
#शीर्षक- 55 वर्ष, बचपन का पंखा
Anil chobisa
शेष
शेष
Dr.Priya Soni Khare
दांतो का सेट एक ही था
दांतो का सेट एक ही था
Ram Krishan Rastogi
सोच बदलनी होगी
सोच बदलनी होगी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राखी
राखी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कर बैठे कुछ और हम
कर बैठे कुछ और हम
Basant Bhagawan Roy
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
देखो-देखो आया सावन।
देखो-देखो आया सावन।
लक्ष्मी सिंह
फूल सी तुम हो
फूल सी तुम हो
Bodhisatva kastooriya
■ एम है तो एम है।
■ एम है तो एम है।
*Author प्रणय प्रभात*
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
मन तेरा भी
मन तेरा भी
Dr fauzia Naseem shad
मानसिक रोगों का उपचार संभव है
मानसिक रोगों का उपचार संभव है
Ms.Ankit Halke jha
💐अज्ञात के प्रति-151💐
💐अज्ञात के प्रति-151💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
तेरी तस्वीर को लफ़्ज़ों से संवारा मैंने ।
Phool gufran
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
Ranjeet kumar patre
भिखारी का बैंक
भिखारी का बैंक
Punam Pande
परिवर्तन विकास बेशुमार🧭🛶🚀🚁
परिवर्तन विकास बेशुमार🧭🛶🚀🚁
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रिय भतीजी के लिए...
प्रिय भतीजी के लिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कहानी - आत्मसम्मान)
कहानी - आत्मसम्मान)
rekha mohan
अन्धी दौड़
अन्धी दौड़
Shivkumar Bilagrami
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
नव लेखिका
राम काज में निरत निरंतर
राम काज में निरत निरंतर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
2767. *पूर्णिका*
2767. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*राधा जी आओ खेलो, माधव के सॅंग मिल होली (गीत)*
*राधा जी आओ खेलो, माधव के सॅंग मिल होली (गीत)*
Ravi Prakash
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
गैरों से क्या गिला करूं है अपनों से गिला
Ajad Mandori
Loading...