Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2017 · 1 min read

** दास्तान ऐ जिन्दगी**

http://uchaiyaan.blogspot.in/2017/05/blog-post_17.html

263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बस चार ही है कंधे
बस चार ही है कंधे
Rituraj shivem verma
■ चलते रहो...
■ चलते रहो...
*Author प्रणय प्रभात*
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
हमें तो देखो उस अंधेरी रात का भी इंतजार होता है
VINOD CHAUHAN
23/37.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/37.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अर्ज है
अर्ज है
Basant Bhagawan Roy
Rap song 【5】
Rap song 【5】
Nishant prakhar
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
gurudeenverma198
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यादों में ज़िंदगी को
यादों में ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
भारती-विश्व-भारती
भारती-विश्व-भारती
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Feel of love
Feel of love
Shutisha Rajput
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
Manisha Manjari
तुकबन्दी,
तुकबन्दी,
Satish Srijan
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
द्विराष्ट्र सिद्धान्त के मुख्य खलनायक
द्विराष्ट्र सिद्धान्त के मुख्य खलनायक
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रदुतिया
रदुतिया
Nanki Patre
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
कभी सोच है कि खुद को क्या पसन्द
पूर्वार्थ
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने। देहश्
धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने। देहश्
Satyaveer vaishnav
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
जिस समाज में आप पैदा हुए उस समाज ने आपको कितनी स्वंत्रता दी
जिस समाज में आप पैदा हुए उस समाज ने आपको कितनी स्वंत्रता दी
Utkarsh Dubey “Kokil”
ना मानी हार
ना मानी हार
Dr. Meenakshi Sharma
14, मायका
14, मायका
Dr Shweta sood
*पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)*
*पाना दुर्लभ है सदा, सहस्त्रार का चक्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
Johnny Ahmed 'क़ैस'
साज सजाए बैठा जग के, सच से हो अंजान।
साज सजाए बैठा जग के, सच से हो अंजान।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेरा तुझसे मिलना, मिलकर इतना यूं करीब आ जाना।
मेरा तुझसे मिलना, मिलकर इतना यूं करीब आ जाना।
AVINASH (Avi...) MEHRA
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...