दास्तां
दास्तां
सुनकर मेरी दास्तां को वो रोने ही लगे,,,,,,
हम जिंदगी से उसकी रुसवा होने लगे,,।।।
क्या करते क्या नही करते हम ,,,,
शिकवे और शिकायत हम करने लगे,,,,।।
किस राह से गुजरेंगे वो पता नही,,,
हर राह पर पर हम पहरा रखने लगे,,,,
सुनो न तुम दिल की मेरी कभी बातों को,,,,,
हम तुझ से ही दिल को खुश रखने लगे,,,,,
कभी तो समझोगे तुम मेरी मोहब्बत को,,,,
हर आरजू तुझ से ही रखने लगे,,,,।।।
रचनाकार- गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मंदसौर
मोबाइल न.7772931211