Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2018 · 1 min read

*दांव आजमाने लगी हैं*

दाँव आजमाने लगी हैं सियासतें,गाँव में नगर में।
कब तक चुप रहके बैठेंगे अब, कौओं के शहर में।।

मिठास दिखती थी हलक में तव ,पहरुओं के वो
अब् फ़लक ने भी मिलाली मिशरी, मीठे ज़हर में।।

धोखा खाते हैं भलेमानस ,इसी पहल कदमीं का
डूब जाते हैं बहती हुयी कभी,इस उथली नहर में।।

यह बक़्त आ गया है दोश्तों, दिमाग़ी कशरतों का
बिछा सकता है कोई रोड़ियां,कब अपनी डगर में।।

ना जाने क्यों दुशमन बना आदमी अपनी कौम का
रहता हूँ देखता सींकचों से,वो अपनी खुदी क़बर में।।

ग़र कुदरत है कहीं साहब तो अकल भी दे दे इन्है
हम भी चल सकें वेखौप होके अब् अपने सफ़र में।।

411 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
डॉ. दीपक मेवाती
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
तुझे पन्नों में उतार कर
तुझे पन्नों में उतार कर
Seema gupta,Alwar
सफलता और सुख  का मापदण्ड स्वयं निर्धारित करनांआवश्यक है वरना
सफलता और सुख का मापदण्ड स्वयं निर्धारित करनांआवश्यक है वरना
Leena Anand
मछली कब पीती है पानी,
मछली कब पीती है पानी,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जाते निर्धन भी धनी, जग से साहूकार (कुंडलियां)
जाते निर्धन भी धनी, जग से साहूकार (कुंडलियां)
Ravi Prakash
मन तो करता है मनमानी
मन तो करता है मनमानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
रक्षा -बंधन
रक्षा -बंधन
Swami Ganganiya
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
ग़ज़ल/नज़्म - हुस्न से तू तकरार ना कर
अनिल कुमार
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
🌹🌹🌹शुभ दिवाली🌹🌹🌹
umesh mehra
"ऊँची ऊँची परवाज़ - Flying High"
Sidhartha Mishra
*
*"गौतम बुद्ध"*
Shashi kala vyas
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
Abhinesh Sharma
फितरत
फितरत
Mamta Rani
सामन्जस्य
सामन्जस्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—2.
कवि रमेशराज
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
हंसना - रोना
हंसना - रोना
manjula chauhan
क्यों न्यौतें दुख असीम
क्यों न्यौतें दुख असीम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
लिख लेते हैं थोड़ा-थोड़ा
लिख लेते हैं थोड़ा-थोड़ा
Suryakant Dwivedi
बात मेरे मन की
बात मेरे मन की
Sûrëkhâ Rãthí
फितरती फलसफा
फितरती फलसफा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
With Grit in your mind
With Grit in your mind
Dhriti Mishra
2847.*पूर्णिका*
2847.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवनमंथन
जीवनमंथन
Shyam Sundar Subramanian
यादों की सौगात
यादों की सौगात
RAKESH RAKESH
फ़ितरत अपनी अपनी...
फ़ितरत अपनी अपनी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
"समय"
Dr. Kishan tandon kranti
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
शिव का सरासन  तोड़  रक्षक हैं  बने  श्रित मान की।
शिव का सरासन तोड़ रक्षक हैं बने श्रित मान की।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Loading...