जिंदगी में मस्त रहना होगा
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कभी भी ग़म के अँधेरों से तुम नहीं डरना
‘’ हमनें जो सरताज चुने है ,
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
महिला दिवस
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
गाँव से चलकर पैदल आ जाना,
आज हालत है कैसी ये संसार की।
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
बात तब कि है जब हम छोटे हुआ करते थे, मेरी माँ और दादी ने आस
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
दिल है के खो गया है उदासियों के मौसम में.....कहीं
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
मिलती बड़े नसीब से , अपने हक की धूप ।