Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Oct 2020 · 2 min read

दशरथ मांझी का शिव संकल्प

पीड़ा सहते सहते मैंने, उठा लिया था बीड़ा
गहलौर पर्वत राह में सबकी, बना हुआ था रोड़ा
पीड़ा थी जन-जन की, मेरी पीड़ा ने फोड़ा
तोड़ दिया था पर्बत, जो बना हुआ था रोड़ा
कई किलोमीटर के चक्कर से, सब आते जाते थे
दुर्गम मार्ग पहाड़ी रास्ता, आते जाते गिर जाते थे
अत्रि और वजीरगंज तक, 70 किलोमीटर की दूरी थी
पर्बत घूम कर जाना हम सबकी मजबूरी थी
गर्भवती महिलाएं बच्चे, बीमार कई मर जाते थे
कई कि.मी. के चक्कर से, वजीरगंज तक जाते थे
एक दिन में लकड़ी लेने को, मैं पर्वत के उस पार गया
खाना पानी लेकर फाल्गुनी आई, पर्वत उसको
निगल गया
ठोकर खाकर गिरी थी वह, दवा नहीं मिल पाई थी
आखिर मेरी प्राण प्यारी, काल के गाल समाई थी
उसी दिन मैंने गहलौर पर्बत, चीरने करने की कसम खाई थी
जैसे मेरी मरी फाल्गुनी, अब कोई न मर पाए
पर्वत काट राह बनाऊंगा, चाहे जान ही मेरी जाए
फाल्गुनी खोने की पीड़ा को, मैंने हथियार बनाया था
छैनी और हथोड़ा मैंने, शिव संकल्प से उठाया था
रोज सवेरे नियमित मैं, पर्वत काटने जाता था
दिन भर भूखा प्यासा, छैनी हथौड़ा चलाता था
मेरा यह जुनून, जमाना मुझको पागल कहता था
भूख प्यास परिवार गरीबी, मुझको रोक न पाई
एक दिन मेहनत रंग लाई, पर्वत चीर के राह बनाई
२२ बरस लगे गेहलौर पर्वत चीर दिया
अत्रि और वजीरगंज को, आधा घंटे में बदल दिया
अत्रि और वजीरगंज जाने, पूरा दिन लग जाता था
वही रास्ता मांझी के कारण, आधा घंटे में नप जाता है
अपने शिव संकल्प से, माझी सफल हो पाया
सारी दुनिया में मांझी ने, अपना नाम कमाया
माझी अपने जूनून के कारण, पागल भी कहलाए
लगे रहे वे मनोयोग से,सफल तभी हो पाए
माझी प्रेरणा हैं जन मन की,आदर है उनका
जन जन में
अमर रहेंगे माझी, दुनिया के जन मन में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

(दशरथ मांझी ग्राम गहलौर एक छोटा सा गांव जिला गया बिहार के रहने वाले एक मजदूर थे , उन्होंने अत्रि एवं वजीरगंज कस्बा जाने के लिए छैनी हथौड़े से अकेले ही पर्वत को तोड़कर सड़क बनाई थी जो आज मांझी के गांव के साथ ही 60- 70 गांव के लोग प्रयोग करते हैं)

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 377 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
Paras Nath Jha
स्वच्छंद प्रेम
स्वच्छंद प्रेम
Dr Parveen Thakur
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
Pramila sultan
हार को तिरस्कार ना करें
हार को तिरस्कार ना करें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुझे याद आता है मेरा गांव
मुझे याद आता है मेरा गांव
Adarsh Awasthi
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
"प्यार का सफ़र" (सवैया छंद काव्य)
Pushpraj Anant
💐प्रेम कौतुक-308💐
💐प्रेम कौतुक-308💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
......तु कोन है मेरे लिए....
......तु कोन है मेरे लिए....
Naushaba Suriya
एहसास
एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
Neeraj Agarwal
आँखें
आँखें
लक्ष्मी सिंह
मेरी परछाई बस मेरी निकली
मेरी परछाई बस मेरी निकली
Dr fauzia Naseem shad
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कवि दीपक बवेजा
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
ruby kumari
जल रहें हैं, जल पड़ेंगे और जल - जल   के जलेंगे
जल रहें हैं, जल पड़ेंगे और जल - जल के जलेंगे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
औरत की नजर
औरत की नजर
Annu Gurjar
तुम रंगदारी से भले ही,
तुम रंगदारी से भले ही,
Dr. Man Mohan Krishna
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
शायद कुछ अपने ही बेगाने हो गये हैं
Ravi Ghayal
भिनसार हो गया
भिनसार हो गया
Satish Srijan
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
3291.*पूर्णिका*
3291.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घोंसले
घोंसले
Dr P K Shukla
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
Rashmi Sanjay
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
"विश्वास का दायरा"
Dr. Kishan tandon kranti
■ आज का शेर...
■ आज का शेर...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...