Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2018 · 1 min read

दल दल में दलित

।‌। दल – दल में दलित ।।
हाय – हाय दलित की नेता, देखो अपने मन – दर्पण में,
दलित, शोषित, आदिवासी, हैं अभी उसी दल-दल में।
तुम तो दलित को पलित कर, खुद रहने लगी बंगले में,
हाथियों का शहर बसा, दलितों को भेजा जंगल में।

सर्वजन हिताय – सर्वजन सुखाय आप का नारा था,
दबे कुचलों का विकास ही, आपको प्यारा था।
दलितों का हित होगा, सोच दलितों ने आपको दुलारा था।
अपना बस हित किया, धन – संम्पति आपको प्यारा था ,

सबका तो हित ना हुआ, कोई किसी का मित ना हुआ,
ऊंच – नीच की खाई बढ़ी, कांशीराम का सपना चूर हुआ।
नारी होकर कन्या का, आपसे इज़्ज़त ना हुआ,
मन मेरा व्यथित होकर, ऐसी रचना पर मजबूर हुआ।

सुबह – शाम चुनाव प्रचार में, बस मुस्लिम ही आपका अपना था,
सवर्णों का वोट तो आपके लिए सिर्फ चखना था।
पार्टी का प्रचार – प्रसार कर, प्रधानमंत्री बनने का सपना,
दल – दल में दलितों का तोड़ दिया सपना ।।

✍️ संजय सिंह राजपूत ✍️
संपर्क: 8125313307
8919231773

Language: Hindi
309 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
अंसार एटवी
लक्ष्मी-पूजन
लक्ष्मी-पूजन
कवि रमेशराज
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
Neeraj Agarwal
कब टूटा है
कब टूटा है
sushil sarna
"जो होता वही देता"
Dr. Kishan tandon kranti
*कहर  है हीरा*
*कहर है हीरा*
Kshma Urmila
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
ओनिका सेतिया 'अनु '
कौन पढ़ता है मेरी लम्बी -लम्बी लेखों को ?..कितनों ने तो अपनी
कौन पढ़ता है मेरी लम्बी -लम्बी लेखों को ?..कितनों ने तो अपनी
DrLakshman Jha Parimal
*तू भी जनता मैं भी जनता*
*तू भी जनता मैं भी जनता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* रंग गुलाल अबीर *
* रंग गुलाल अबीर *
surenderpal vaidya
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
Deepak Baweja
भगतसिंह मरा नहीं करते
भगतसिंह मरा नहीं करते
Shekhar Chandra Mitra
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
*मिलाओ एक टेलीफोन, तो झगड़ा निपट जाए (मुक्तक)*
*मिलाओ एक टेलीफोन, तो झगड़ा निपट जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
गम और खुशी।
गम और खुशी।
Taj Mohammad
3229.*पूर्णिका*
3229.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आईना देख
आईना देख
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Rashmi Sanjay
फितरत
फितरत
Dr fauzia Naseem shad
उफ्फ्फ
उफ्फ्फ
Atul "Krishn"
ड्यूटी और संतुष्टि
ड्यूटी और संतुष्टि
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सेंसेक्स छुए नव शिखर,
सेंसेक्स छुए नव शिखर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
♥️मां पापा ♥️
♥️मां पापा ♥️
Vandna thakur
ਮੁਕ ਜਾਣੇ ਨੇ ਇਹ ਸਾਹ
ਮੁਕ ਜਾਣੇ ਨੇ ਇਹ ਸਾਹ
Surinder blackpen
■ विडम्बना
■ विडम्बना
*Author प्रणय प्रभात*
संवेदनाएं
संवेदनाएं
Dr.Pratibha Prakash
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
अभिनव अदम्य
भूल जा वह जो कल किया
भूल जा वह जो कल किया
gurudeenverma198
Loading...