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24 Oct 2016 · 1 min read

दर पर अपने प्रभु ने बुलाया होगा

दर पे अपने प्रभु ने आज बुलाया होगा
छोड़ के काम सभी फिर से पठाया होगा

आज अपराध क्षमा कर प्रभु ने मेरे सब
मार्ग हमको जो शराफत का दियाया होगा

हो गया जब वह लाचार गरीबी में तो
वक्त ने कठपुतली सा ही नचाया होगा

हो न पायी जब पूरी सब आसें उसकी
तब गले मौत को उसने तो लगाया होगा

ख्याव तेरे महके फिर जो मिला वो होगा
तो जहाँ एक नया तूने सजाया होगा

हो उठी मैं खुश पा कर पत्र तेरा अब तो
दोड़ कर जो फिर उसको तो पढाया होगा

घूम कर मैं दर सारे प्रभु के आयी
इसलिये तो मुझे पास बसाया होगा

डॉ मधु त्रिवेदी

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